राजस्व अधिकारी अशोक अग्रवाल को मिलेगी पदोन्नति! - Punjab Kesari
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राजस्व अधिकारी अशोक अग्रवाल को मिलेगी पदोन्नति!

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नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति श्री सिद्धार्थ मृदुल तथा न्यायमूर्ति दीपा शर्मा की पीठ ने अपने आदेश में वित्त मंत्रालय द्वारा दाखिल केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण के दो फरवरी 2016 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को रद्द करते हुए आदेश दिया है कि भारतीय राजस्व सेवा के 1985 बैच के अधिकारी अशोक अग्रवाल जो पहले प्रवर्तन निदेशालय में उपनिदेशक के पद पर कार्यरत थे, उन्हें तुरन्त सभी पदोन्नतियां दी जाएं। अपने आदेश में अदालत ने वित्त मंत्रालय के अशोक अग्रवाल के प्रति पूर्वाग्रह पूर्ण रवैये की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा है ​कि वित्त मंत्रालय का अशोक अग्रवाल के प्रति रवैया दुर्भावनापूर्ण रहा है। पीठ ने यह भी कहा है कि वित्त मंत्रालय और सीबीआई द्वारा अशोक अग्रवाल को बार-बार परेशान करने के उनके कार्यों की अनेकों बार सुुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतों ने कई बार कड़ी आलोचना की है। भारतीय प्रशास​िनक अधिकारी ने अपने 2 फरवरी, 2016 के फैसले में दो विभागीय जांचों को ​निरस्त करने के साथ-साथ वित्त मंत्रालय को आदेश दिए थे कि अशोक अग्रवाल को तीन माह के भीतर सारी पदोन्नतियां दी जाएं। अशोक अग्रवाल प्रवर्तन निदेशालय के उपनिदेशक पद पर काम करते हुए कई प्रभावशाली लोगों के विरुद्ध फेरा उल्लंघन की जांच कर रहे थे।

कुछ प्रभावशाली लोगों ने उन्हें प्रवर्तन निदेशालय से हटाने के लिए एक साजिश के तहत उनके खिलाफ सीबीआई को झूठी शिकायतें कीं जिनके कारण उन पर सीबीआई ने दो केस बनाए थे। अशोक अग्रवाल को झूठे मामले में फंसाने के लिए सीबीआई ने हवाला कारोबारी और हथियारों के सौदागर अभिषेक वर्मा को जान से मार डालने की धमकी देकर झूठे और मनगढ़ंत बयान कराए गए जिसके बाद अशोक अग्रवाल के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया। अभिषेक वर्मा को वायदा माफ गवाह बनाया गया। दिल्ली हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायमर्ति ए.के. सीकरी ने वर्ष 2007 में सीबीआई को फटकार लगाते हुए अभिषेक वर्मा को वायदा माफ गवाह बनाने की सिफारिश को निरस्त कर दिया था। इस फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए सीबीआई आैर अभिषेक वर्मा को कड़ी फटकार लगाई थी।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अभिषेक वर्मा ने अदालत में शपथपत्र दाखिल करते हुए यह ​लिखा था कि उस पर सीबीआई के अधिकारियों ने दबाव देकर अशोक अग्रवाल के खिलाफ झूठे बयान करवाए थे और अदालत से उसने आग्रह किया कि उक्त सीबीआई अधिकारियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाए।दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने अपने एक आदेश में सीबीआई के सभी भ्रष्ट कार्यकलापों का संज्ञान लेते हुए यह भी कहा कि सीबीआई के अधिकारियों ने अशोक अग्रवाल के खिलाफ जांच के दौरान झूठे दस्तावेज बनाए। उन दो अधिकारियों ​नीरज कुमार, नरेन्द्र पांडे के विरुद्ध दिल्ली हाईकोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए थे। अपने आदेश से पीठ ने इस बात का संज्ञान लिया कि सीबीआई अधिकारी और दिल्ली पुलिस में कार्यरत विनोद पांडे अदालत में मुकद्दमे का सामना कर रहे अशोक अग्रवाल को चोट पहुंचाने के कारण मुकद्दमे का सामना कर रहे हैं।

पीठ ने अपने आदेश में उच्चतम न्यायालय के आदेश का संज्ञान लिया ​जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय के उन आदेशों की कड़ी भर्त्सना की थी, जिसमें अशोक अग्रवाल को लम्बे समय तक निलम्बि​त रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्रालय को कोर्ट की अवमनाना का दोषी पाया था और कहा था कि वित्त मंत्रालय की कार्यवाही पूर्वाग्रहपूर्ण थी। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि सीबीआई द्वारा दो विभागीय जांचों की सिफारिश जानबूझ कर पूर्वाग्रहपूर्ण कार्यवाही थी आैर पीठ ने यह भी कहा कि न केवल सीबी​आई ने अशोक अग्रवाल को झूठे केस में फंसा कर परेशान किया बल्कि वित्त मंत्रालय ने भी उसे परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हाईकोर्ट ने सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद पाया कि वित्त मंत्रालय की याचिका में कोई दम नहीं। अब देखना है कि भ्रष्टाचारियों के चक्रव्यूह में फंसे अशोक अग्रवाल को कब न्याय मिलता है।

हरीश चोपड़ा

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