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250 छात्रों को राहत: सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 का किया इस्तेमाल

आर्टिकल 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट ने 250 छात्रों को दी राहत

संविधान के अनुच्छेद 142 का प्रयोग करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 250 छात्रों को शिक्षा में आ रही बाधाओं से राहत प्रदान की है। कोर्ट ने कहा कि यदि यह असाधारण अधिकार प्रयोग नहीं किया गया, तो छात्रों के करियर पर संकट मंडरा सकता था। कोर्ट ने AICTE और विश्वविद्यालय को निर्देश दिया कि संस्थान को अस्थायी परिसर में संचालित होने दें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संस्थान को 30 अप्रैल 2027 से पहले AICTE मानकों के अनुसार बनाए गए अपने स्थायी परिसर में शिफ्ट होना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 का प्रयोग करते हुए 250 छात्रों को शिक्षा में आ रही बाधाओं से राहत दी है। यह निर्णय एक होटल मैनेजमेंट संस्थान के कैंपस शिफ्टिंग के चलते उत्पन्न संकट को देखते हुए लिया गया। कोर्ट ने कहा कि यदि यह असाधारण अधिकार प्रयोग नहीं किया गया, तो लगभग 250 छात्रों के करियर पर संकट मंडरा सकता है। यह मामला कर्नाटक के मंगलुरु स्थित उस संपत्ति से जुड़ा था, जहां यह संस्थान लंबे समय से संचालित हो रहा था, लेकिन अब उसे 30 अप्रैल, 2025 तक खाली करना अनिवार्य हो गया है। संस्थान का नया स्थायी कैंपस अभी अधूरा है, इसलिए वह एक अस्थायी स्थान पर शिफ्ट होकर अपनी शिक्षा जारी रखना चाहता है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने माना कि यह मामला “पूर्ण न्याय” के लिए अनुच्छेद 142 के प्रयोग के योग्य है।

क्या है संविधान का अनुच्छेद 142?

अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी लंबित मामले में “पूर्ण न्याय” सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक आदेश या डिक्री जारी कर सके। यह न्यायपालिका का एक असाधारण संवैधानिक साधन है।

कोर्ट ने क्यों माना इसे ‘फिट केस’?

बेंच ने कहा कि यह मामला असाधारण परिस्थितियों वाला है, जहां छात्रों का भविष्य अधर में लटक सकता है। संस्थान को एक ओर वर्तमान परिसर खाली करना है और दूसरी ओर नया कैंपस तैयार नहीं है। ऐसे में अस्थायी स्थान ही एकमात्र विकल्प है।

AICTE और विश्वविद्यालय को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने AICTE और मैंगलोर यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया कि अगले दो वर्षों तक संस्थान को ऐसे किसी परिसर में संचालित होने दें, जो उनकी स्थायी संपत्ति न हो या जहां 30 साल की लीज मौजूद न हो। बशर्ते कि वह परिसर अन्य आवश्यक शैक्षिक मानकों पर खरा उतरे।

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छात्रों की पढ़ाई बनी रहेगी निर्बाध

इस फैसले से छात्रों को यह भरोसा मिला है कि अगले दो वर्षों तक उनकी पढ़ाई किसी तरह से प्रभावित नहीं होगी और वे बिना किसी रुकावट के अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संस्थान को 30 अप्रैल 2027 से पहले AICTE मानकों के अनुसार बनाए गए अपने स्थायी परिसर में शिफ्ट होना होगा।

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