कोरोना वायरस से निपटने के लिए केंद्र सरकार के तरफ से 17 मई तक देशव्यापी लॉकडाउन जारी है और इसी बीच विपक्ष की तरफ से लगातार केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाये जा रहे है। इस बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को कोरोना वायरस (कोविड-19) को लेकर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। राहुल ने इस दौरान कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से आ रही मुश्किलों पर चर्चा की।
उन्होंने मीडिया से कोरोना संकट के समय जूझ रहे अर्थव्यवस्था को लेकर भी बातचीत की। कोरोना संकट से जूझ रहे देश के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है। जिसे लेकर इस चर्चा के दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि “जब बच्चों को चोट लगती है तो मां बच्चे को कर्ज नहीं देती है,वो एकदम मदद करती है। भारत माता को अपने बच्चों के लिए साहूकार का काम नहीं करना चाहिए, उसे बच्चों को एकदम पैसा देना चाहिए। जो प्रवासी मजदूर सड़क पर चल रहा है उसे कर्ज की नहीं जेब में पैसे की जरूरत है।
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राहुल ने कहा कि “मैंने सुना है कि पैसे न देने का कारण रेटिंग है,अगर आज हमने थोड़ा घाटा बढ़ा दिया तो बाहर की एजेंसियां भारत की रेटिंग कम कर देंगी और हमारा नुकसान होगा। मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि हमारी रेटिंग किसान, मजदूर बनाते हैं। आज उन्हें हमारी जरूरत है, रेटिंग के बारे में मत सोचिए।” उन्होंने कहा कि लॉकडाउन को हमें धीरे-धीरे समझदारी से उठाना होगा क्योंकि यह हमारे सभी समस्याओं का समाधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि हमें बुजुर्गों, बच्चों सभी का ख्याल रखते हुए धीरे-धीरे लॉकडाउन उठाने के बारे में सोचना होगा जिससे कि किसी को कोई खतरा ना हो। राहुल ने कहा कि “मैं प्रधानमंत्री नहीं हूं लेकिन एक विपक्ष के नेता के तौर पर कहूंगा कि कोई भी आदमी घर छोड़कर दूसरे राज्य में जाता है तो काम की तलाश में जाता है। इसलिए सरकार को रोजगार के मुद्दे पर एक राष्ट्रीय रणनीति बनानी चाहिए।”