राहुल गांधी विपक्षी दलों के लिए बोझ : रघुवर दास - Punjab Kesari
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राहुल गांधी विपक्षी दलों के लिए बोझ : रघुवर दास

जागरूक हो गया है और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वैसे लोगों को जरूर सबक सिखाएगा, जिसने

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता एवं झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आज कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी न केवल अपनी पार्टी बल्कि अन्य विपक्षी दलों के लिए भी बोझ बन गये हैं। श्री दास ने यहां भाजपा कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सम्मानजनक और स्वच्छ राजनीति में श्री गांधी का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी पर श्री गांधी की टिप्पणी पर कहा कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। कांग्रेस ने सारी हदें पार कर दी हैं।

उन्होंने कहा कि श्री गांधी न केवल कांग्रेस बल्कि अन्य विपक्षी दलों के लिए भी बोझ बन गये हैं। भाजपा नेता ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए जारी पार्टी के घोषणा-पत्र (संकल्प पत्र) की विशेषताओं को उल्लेख करते हुये कहा कि यह पत्र नये भारत और नये झारखंड के निर्माण में मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने संकल्प पत्र के माध्यम से लोगों के सामने वर्ष 2019 से 2024 तक देश की प्रगति की कार्ययोजना पेश की है। भाजपा एक ऐसे भारतवर्ष का निर्माण करना चाहती है, जहां गरीबों को घर, स्वास्थ्य सेवाएं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं अन्य सभी सुविधाएं मिलें।

 दास ने कहा कि भाजपा केवल वादे नहीं करती बल्कि देश की 130 करोड़ आबादी के सपनों को पूरा करने के इरादे से काम भी करती है। उन्होंने कहा कि संकल्प पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि आंतरिक एवं बाहरी खतरों के साथ समझौता नहीं किया जाएगा। भाजपा सरकार हमेशा गरीबों एवं आम लोगों के बहुमुखी विकास के लिए प्रयासरत रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में केंद्र से भेजे जाने वाले 100 पैसे में से देश के लोगों को केवल 15 पैसे ही मिल पाते थे लेकिन भाजपा सरकार में लोगों को पूरी राशि प्राप्त हो जाती है, जो केंद्र उनके कल्याण के लिए भेजता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को गरीबों और किसानों के बारे में बात करने का कोई हक नहीं है।

 श्री दास ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन पर हमला बोलते हुये कहा कि वह और उनके परिवार के सदस्यों ने छोटानागपुर काश्तकारी (सीएनटी) एवं संतालपरगना काश्तकारी (एसपीटी) कानून का सबसे अधिक उल्लंघन किया है। लेकिन, आदिवासी समाज अब जागरूक हो गया है और वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में वैसे लोगों को जरूर सबक सिखाएगा, जिसने उनका इस्तेमाल केवल वोटों के लिए किया है।

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