रायपुर : छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर अंचल में नक्सलियों का कहर कम होने के बजाए बढ़ता जा रहा है। सुकमा जिले में नक्सली वारदात के बाद नक्सल आपरेशन और अभियान पर ही सवाल उठने लगे हैं। वहीं दूसरी ओर से सरकार की नाकामी को लेकर भी आरोप लगे हैं। दरअसल, नक्सल विस्फोट जिस स्थान पर हुआ वहीं दो दिन पहले ही मुख्यमंत्री लोक सुराज अभियान के दौरान मोटर सायकल से निकले थे। सरकार ने संदेश दिया था कि बस्तर में अब नक्सलवाद बीते जमाने की बात हो चुकी है।
दो दिन बाद ही नक्सलियों ने विस्फोट कर सरकार को एक तरह से जवाब दे दिया है। इस वारदात के बाद नक्सल आपरेशन की कार्यप्रणाली और सूचना तंंत्र पर ही सवाल उठने लगे हैं। सूचना तंत्र बस्तर में लगाता फैल्योर साबित होता रहा है। सूत्र दावा करते हैं कि एसओपी का पालन नहीं करना भी फोर्स को महंगा पड़ गया।
फोर्स और राज्य पुलिस के बीच बेहतर तालमेल नहीं होने से भी लगातार शहादत हो रही है। 9 जवानों की शहादत पर छत्तीसगढ़ समेत देश भर में बवाल मचा हुआ है। स्टेंडर्ड आपरेटिंग प्रासिजर का पालन नहीं करने की बात सामने आ रही है लेकिन तथ्य और भी हो सकते हैं। केन्द्र सरकार की ओर से नक्सलियों से लडऩे भारी भरकम फंड भी मिल रहा है। इसके बावजूद अब तक जवानेां के लिए बुलेट पु्रफ जेकेट समेत अन्य संसाधनों की खरीदी नहीं हो पाई है। जाहिर है बस्तर में नक्सलवाद पूरी तरह हावी है।
वहीं सरकार के दावे फिर गलत साबित हो गए। बस्तर अंचल में विकास को लेकर सरकार लगातार दावे करती रही है। सीआरपीएफ के जवानों को बड़ी तादाद में शहीद होकर कीमत चुकानी पड़ रही है। इधर पूर्व की घटनाओं से सबक नहीं लेने और सतर्कता नहीं बरतना भी वारदात की एक वजह हो सकती है। इस घटना ने छत्तीसगढ़ समेत देश भर को झकझोर कर रख दिया है। वहीं नक्सल विरोधी अभियान पर भी सवाल उठने लगे हैं।
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