राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल और विवेकानंद केन्द्र की यात्रा की। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, दक्षिण भारत की अपनी वार्षिक यात्रा के दौरान कोविंद बुधवार और गुरुवार (25 और 26 दिसंबर) को कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद रॉक मेमोरियल और विवेकानंद केन्द्र देखने पहुंचे।
विज्ञप्ति के अनुसार, कोविंद ने कहा, ‘‘हम ऐसे स्थान पर एकत्रित हुए हैं जो हमें निरंतर सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। भारत माता के कदमों में स्थित इस पत्थर की आध्यात्मिक शक्ति ही है जिसने आंतरिक शांति की खोज में लगे स्वामी विवेकानंद को कन्याकुमारी आने के लिए आकर्षित किया।’’
उन्होंने कहा कि 127 वर्ष पहले इसी दिन, 1892 में स्वामी जी ने इस पवित्र स्थल पर गहन ध्यान किया। कोविंद ने कहा, ‘‘तीन दिन और तीन रातों के बाद एक साधारण संत को दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ और भारतीय सनातन धर्म संस्कृति का वैश्विक संदेशवाहक बन गया। स्वामी जी ने यहीं पर ज्ञान प्राप्त किया और एक आध्यात्मिक क्रांति की शुरुआत हुई।’’
उन्होंने कहा कि यह एक व्यक्ति के मोक्ष प्राप्ति का प्रयास नहीं था बल्कि यह मातृभूमि के धार्मिक मूल्यों के पुनर्जीवन और लोगों की सेवा के लिए था। उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में मुझे 19 मार्च, 1894 को लिखे स्वामी जी के पत्र की याद आती है। इस पत्र में उन्होंने अपनी योजनाओं का जिक्र किया था। उन्होंने परमार्थी सन्यासियों की कल्पना की थी जो गांव-गांव जाएंगे, लोगों को शिक्षित करेंगे और उनकी स्थिति बेहतर बनाने के लिए कार्य करेंगे।’’
कोविंद ने कहा, स्वामी जी ने लिखा था, ‘‘एक राष्ट्र के रूप में हमने अपना व्यक्तिगत स्वरूप खो दिया है और यही भारत में सभी बुराइयों का कारण है। हमें राष्ट्र को इसका खोया हुआ स्वरूप वापस देना होगा और लोगों की स्थिति को बेहतर बनाना होगा।”