केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत ने एच1 बी और एल1 वीजा का मुद्दा अमेरिका के सामने बहुत दृढ़ता से उठाया है और अमेरिकी उसे समझाया है कि पाबंदियों से उसकी अर्थव्यवस्था के लिए वास्तविक स्थिति कठिन हो सकती है क्यों कि उसे भारतीय आईटी पेशेवरों से बड़ फायदा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी श्रमिकों को रोजगार में तथा कथित भेदभाव और असमान प्रतिस्थापन से बचाने के ट्रंप प्रशासन ने लक्ष्य के अनुरुप अमेरिकी एच1 बी और एल 1 वीजा जारी करने के नियम अधिक सख्त कर दिए गए हैं। अमेरिकी कंपनियां विदेशी पेशेवरों को को अवधि के काम पर बुलाने के लिए इसी प्रकार के वीजा का इस्तेमाल करती हैं। यह वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों में बड़ लोकप्रिय है। इसके अतिरिक्त ट्रंप प्रशासन ने इसी सप्ताह एच1 बी और एल1 वीजा की अवधि के विस्तार के नियमों को कड़ कर दिया है और इसको साबित करने की जिम्मेदारी कर्मचारियों पर ही डाल दी गयी है।
अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार नीति मंच (टीपीएफ) की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा, हमने अमेरिका के सामने दृढ़ता से भारतीय पेशेवरों के और एच-1बी वीजा और एल 1 वीजा के मुद्दे उठाए हैं। इस बैठक में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर भी शामिल थे। प्रभु ने कहा, हमने उनको समझाया कि हम इस मुद्दे को केवल इसलिए नहीं उठा रहे हैं कि इससे भारतीयों को अमेरिका आने में दिक्कत होगी, बल्कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए वास्तविकता का सामना करने में भी कठिनाइ होगी क्योंकि बाहर से आने वाले आईटी पेशेवरों की वजह से अमेरिका ने लाभ उठाया है जो ऐसे सेवाएं देते हैं जिससे उनकी उत्पादकता में सुधार हुआ है।
केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई है कि अमेरिकी इस मुद्दे पर गौर करेंगे। उन्होंने भरतीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की ओर से टोटलाइजेश का मामला भी उठाया। टोटलाइजेशन के तहत भारतीय कंपनियां चाहती है कि अल्प कालिक नौरी पर अमेरिका आने वाले कर्मचारियों से यहां पेंशन कोष जैसी सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं के लिए कटौती न की जाएं क्यों के वे अंशदान देने के बावजूद यहां उसका लाभ उठा सकते हैं। वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय व्यापार में विविधता लाने और बढ़ते हुए व्यापार घाटे के मुद्दों पर भी ध्यान देने के लिए सहमत हुए हैं।
प्रभु ने अमेरिका से आम और अनार के निर्यात की प्रक्रियाओं को भी आसानी बनाने की मांग की है। वाणिज्य मंत्री ने अमेरिकी कंपनियों से भारत में मेक इन इंडिया नीति का लाभ उठाने के लिए भारत में विनिर्माण इकाइयां लगाने की अपील की। भारत अमेरिका वाणिज्यिक वार्ता के प्ररंभ में अमेरिकी वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस ने द्विपक्षीय व्यापार में विस्तार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने व्यापार संतुलन का मुद्दा भी उठाया था।
भारत चाहता है कि अमेरिका भारत से आने वाले फालों की खेप साफ साफाई व गुणवथा को स्वीकृति-पूर्व प्रमाण के लिए भारत के राष्ट्रीय पादप संरक्षण संगठन को मान्यता प्रदान करे क्यों कि यह संगठन इसमें पूरीतर सक्षम है। प्रभु ने भारतीय अनार और अंगूर के अमेरिका में आयात की राह में बाधाएं दूर करने की दिशा में प्रगति का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका के लोगों को ये फल भी मिलने ही चाहिए। वाणिज्य मंत्री ने कृत्रिम निगरानी, विद्युत चालित वाहनों और उड्डयन क्षेत्र में अमेरिका से प्रौद्योगिकी प्राप्त करने की इच्छा प्रकट की।