भारतीय वायुसेना प्रमुख ने हाल ही में लड़ाकू विमान की घटती संख्या और नए विमान न मिलने पर चिंता जताई थी। अब रक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली एक समिति ने सिफारिश की है कि वायुसेना की क्षमता में सुधार के लिए निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम किया जाए।
Defence: भारत-अल्जीरिया के बीच रक्षा सहयोग के लिए ऐतिहासिक समझौता
रक्षा सचिव की रिपोर्ट में कहा गया है कि वायुसेना की क्षमता बेहतर करने के लिए डीआरडीओ, डिफेंस सेक्टर से जुड़े पीएसयू और निजी क्षेत्र मिलकर काम करें। सोमवार को रक्षा सचिव ने भारतीय वायुसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए बनाई गई अधिकार प्राप्त समिति की यह रिपोर्ट रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी, इस दौरान वायुसेना प्रमुख एपी सिंह भी मौजूद रहे।
बीते सप्ताह वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने कहा था कि भारतीय वायुसेना को प्रति वर्ष करीब 35 से 40 नए फाइटर जेट अपने बेड़े में शामिल करने की जरूरत है। फाइटर जेट की जरूरत और मौजूदा कमी को दूर करने के लिए वायुसेना प्रमुख ने भी निजी क्षेत्र की भागीदारी का सुझाव दिया था। वहीं, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने इस विषय से जुड़े प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है और लघु, मध्यम तथा दीर्घकालिक कार्यान्वयन के लिए अपनी सिफारिशें दी हैं। ये सिफारिशें भारतीय वायु सेना की क्षमता व लक्ष्य प्राप्त करने के लिए हैं।
रिपोर्ट में निजी क्षेत्र को डिफेंस पीएसयू और डीआरडीओ के प्रयासों का पूरक बनाने की बात कही गई है। इसके साथ एयरोस्पेस क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।
रक्षा मंत्री ने समिति के काम की सराहना की और निर्देश दिया कि सिफारिशों का समयबद्ध तरीके से पालन किया जाए। दरअसल, भारतीय वायुसेना को फाइटर जेट की मौजूदा कमी को पूरा करने की जरूरत है। अगले कुछ वर्षों में पुराने बेड़ों के मिराज, मिग-29 और जगुआर चरणबद्ध तरीके से बाहर हो जाएंगे। ऐसे में विमानों की कमी दूर करने लिए हर साल करीब 35 से 40 लड़ाकू विमानों की जरूरत है।