सुप्रीम कोर्ट में आज (30 अप्रैल) को पतंजलि के मामले की सुनवाई होनी है। इस सुनवाई के दौरान ये तय होना है कि बाबा रामदेव के खिलाफ अवमानना का आरोप लगाया जाए या नहीं। मामले में पिछली सुनवाई 23 अप्रैल को हुई थी।
दरसल, सुप्रीम कोर्ट, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की 2022 की याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस याचिका में कोविड टीकाकरण अभियान और चिकित्सा की आधुनिक प्रणालियों के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाया गया है। कोर्ट ने रामदेव,आचार्य बालकृष्णन और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से भ्रामक विज्ञापनों पर उसके उसके आदेशों का पालन नहीं करने के लिए सार्वजनिक माफी मांगने को कहा था।
जिसके बाद पतंजलि की ओर से एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच से कहा था- हमने माफीनामा फाइल कर दिया है। इसे 67 अखबारों में पब्लिश किया गया है।
इसके बाद पतंजलि, बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने 24 अप्रैल को अखबारों में माफीनामा छपवाया था। इसमें बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगी गई है। पतंजलि पर अखबारों में विज्ञापन देकर एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार करने का आरोप है।
बता दें कि बाबा राम देव को अब सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद, उत्तराखंड सरकार से भी बड़ा झटका लगा है। पतंजलि की दिव्य फार्मेसी कंपनी के 14 प्रोडक्ट्स पर बैन लगा दिया है। ये बैन उत्तराखंड औषधि नियंत्रण विभाग के लाइसेंस प्राधिकरण ने लगाया है। इससे पहले उत्तराखंड औषधि नियंत्रण विभाग के नोटिफिकेशन के मुताबिक दिव्य फार्मेंसी की ओर से अपने उत्पादों की प्रभावशीलता के बारे में बार-बार भ्रामक विज्ञापन को रोकने के निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए पतंजलि आयुर्वेदा को फटकार लगाई थी।