पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से स्थगित करने का निर्णय लिया है। बीजेपी विधायक पवन कुमार गुप्ता ने इस फैसले को वीरगति को प्राप्त हुए नागरिकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की नापाक हरकतों का अब माकूल जवाब दिया जाएगा और सिंधु जल संधि के तहत भारत को मिलने वाला पानी अब पूरी तरह भारत के किसानों व नागरिकों के लिए उपयोग में लाया जाएगा। 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा हस्ताक्षरित इस संधि के तहत भारत ने पश्चिमी नदियों – सिंधु, झेलम और चेनाब – का लगभग 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को देने का अधिकार दिया था। लेकिन अब भारत ने यह तय किया है कि वह अपनी हिस्से की 20 प्रतिशत जलधारा का पूर्ण रूप से उपयोग करेगा और पाकिस्तान को एक-एक बूंद का हिसाब देना होगा।
पहलगाम हमले के बाद बढ़ा सख्त रवैया
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी और कई घायल हुए थे। इस हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक और रणनीतिक कदम उठाने शुरू कर दिए। सिंधु जल संधि को ‘अबेयान्स’ यानी अस्थायी रूप से स्थगित करने की प्रक्रिया इसी का एक हिस्सा है। बीजेपी विधायक पवन कुमार गुप्ता ने कहा कि यह निर्णय पाकिस्तान को उसकी हरकतों का स्पष्ट और प्रभावी जवाब देगा।
अब भारत की धरती का पानी भारत के लिए
पवन कुमार गुप्ता ने कहा कि रावी नदी का 100 प्रतिशत पानी भारत के हिस्से में आता है, लेकिन इसमें से करीब 6 प्रतिशत पानी अब तक पाकिस्तान को जा रहा था। उन्होंने कहा कि अब भारत सरकार ने तय कर लिया है कि एक बूंद भी पानी पाकिस्तान नहीं जाएगा। इस निर्णय से पाकिस्तान की कृषि पर बड़ा असर पड़ेगा, खासतौर पर सर्दियों में जब जलस्तर गिरता है।
बांधों की ऊंचाई बढ़ेगी, परियोजनाएं होंगी तेज
बीजेपी विधायक ने बताया कि अब भारत सभी बहुउद्देशीय बांध परियोजनाओं को तेज़ी से पूरा करेगा। विशेषकर बगलीहार और सलाल जलविद्युत परियोजनाओं के गेट बंद कर दिए गए हैं, जिससे चेनाब नदी का बहाव पाकिस्तान की ओर रुक गया है। आने वाले समय में अन्य परियोजनाओं के माध्यम से झेलम और सिंधु की जलधारा को भी नियंत्रित किया जाएगा।
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सिंधु जल संधि: भारत-पाक संबंधों का जल आधार
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई सिंधु जल संधि में भारत को पूर्वी नदियों (सतलुज, रावी, ब्यास) और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चेनाब) का अधिकार दिया गया था। यह संधि दशकों तक विवादों के बावजूद चली, लेकिन अब भारत इसे पाकिस्तान की आतंक नीति के जवाब में हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।