रिलायंस के प्रस्तावित जियो इंस्टीट्यूट को केन्द्र सरकार द्वारा देश के 6 प्रतिष्ठित संस्थानों की सूची में शामिल किए जाने को विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अंबानी बंधुओं से करीबी रिश्तों का परिणाम बताया है। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने जियो संस्थान को देश को प्रतिष्ठित संस्थानों की सूची में डालने की तुलना उद्योगपतियों की कर्ज माफी से की। येचुरी ने ट्वीट कर कहा ‘‘अब तक वजूद में ही नहीं आये विश्वविद्यालय को प्रतिष्ठित संस्थान का तमगा देना कार्पोरेट जगत के तीन लाख करोड़ रुपये के गैरनिष्पादित कर्ज की तरह है जिसे सरकार ने चार साल में उद्योगपतियों से अपनी मित्रता निभाने के एवज में बट्टेखाते में डाल दिया।’’
सपा ने सरकार के इस फैसले को अंबानी बंधुओं से मोदी की नजदीकी का परिणाम बताया। सपा के राज्यसभा सदस्य जावेद अली खान ने कहा ‘‘जियो के मालिक से प्रधानमंत्री के संबध जगजाहिर हैं। जियो के लिये मोदी जी पहले विज्ञापन भी कर चुके हैं। इसलिये इस फैसले से हमें कोई आश्चर्य नहीं है।’’ राजद के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज कुमार झा ने इस फैसले को मोदी सरकार की गरीब विरोधी मानसिकता का परिणाम बताया। झा ने ट्वीट कर कहा ‘‘जिस हुकूमत की प्राथमिकता में पहले पायदान पर जियो इंस्टीट्यूट हो, उन्हें आखिरी पायदान पर खड़े वंचित समूह दिखते नहीं।
ये है न्यू इंडिया, जिसे बड़ी मशक्कत और कड़ी मेहनत से देश विदेश घूमकर हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बनाया है। जय हिंद।’’ भाकपा के सचिव अतुल कुमार अनजान ने इसे मोदी सरकार की जमीनी हकीकत से अनभिज्ञता का सबूत बताया। अनजान ने कहा कि जो संस्थान अभी अस्तित्व में ही नहीं आया है उसे देश के श्रेष्ठतम संस्थानों में शुमार करने से पता चलता है कि मोदी जी की अपनी सरकार पर कितनी पकड़ है और सरकार जमीनी हकीकत से कितनी वाकिफ है।