श्योपुर : कार्य के प्रति नवागत कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन के तेवर भले ही सख्त नजर आ रहे हों, लेकिन उनके फील्ड में निकलते ही विभाग प्रमुख सहित अधीनस्थ स्टॉफ बेलगाम हो जाता है, जिसके चलते दफ्तर दिनभर सूने पडे रहते हैं और लोग बिना काम ही बैरंग लौट जाते हैं। दफ्तर की इस स्थिति पर जिला प्रशासन क्यों मौन साधे है? यह समझ से परे है।
शासकीय योजनाओं की मैदानी हकीकत जानने एवं ग्रामीणों की ज्वलंत समस्याओं के निदान के लिए कलेक्टर श्रीसुमन ने सप्ताह में तीन दिन का फील्ड दौरा तय कर रखा है। जिसके तहत डीएम सोमवार, बुधवार एवं शुक्रवार को क्षेत्र भ्रमण पर निकल जाते हैं, लेकिन कलेक्टर के क्षेत्र में निकल जाने का फायदा अधीनस्थ स्टॉफ सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी खूब उठा रहे हैं।
अधिकारी डीएम के दफ्तर से निकलते ही कितने बेलगाम हो जाते हैं? इसकी एक छोटी सी वानगी बुधवार को तब देखने को मिली,जब दोपहर में आधा दर्जन से अधिक विभागों के अधिकारी अपनी सीटों से गायब मिले। राज एक्सप्रेस की टीम ने दोपहर में कलेक्ट्रेट में संचालित विभिन्न विभागों का जायजा लिया, तो कार्यालयों में अधिकारी ही नहीं, बल्कि लिपिक वर्ग के कर्मचारी भी नदारद मिले।
राज एक्सप्रेस की टीम को जो विभाग खाली मिले, उनमें उद्योग विभाग, श्रम, आबकारी, कृषि विभाग, पंजीयन विभाग, तहसीलदार कार्यालय, महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला अंत्यावसायी विकास समिति, आदिम जाति कल्याण विभाग, जिला शिक्षा केन्द्र का सहायक यंत्री कार्यालय आदि शामिल हैं। यह भी हो सकता है कि कुछ विभागों के अधिकारी कलेक्टर के साथ फील्ड में हों,
किन्तु इसका फायदा उन विभागों के अधिकारी-कर्मचारी जमकर उठा रहे हैं, जिन्हें फील्ड में नहीं जाना होता है। वे डीएम के निकलते ही दफ्तरों से गायब हो जाते हैं। यह स्थिति सोमवार, बुधवार व शुक्रवार के दिन अक्सर बनती है। चूंकि डीएम दिनभर फील्ड में रहते हैं, इसलिए दफ्तर भी दिनभर सूनसान पडे रहते हैं।
इन विभागों में अधिकारियों के साथ कर्मचारी भी सीटों से गायब होकर या तो घरों पर आराम कर रहे होते हैं या फिर अपने रोजमर्रा के काम निपटा रहे होते हैं। अधिकारियों के ऑफिसों में न बैठने के कारण जरूरतमंद लोग खासे परेशान रहते हैं। इस स्थिति के बारे में या तो जिला कलेक्टर को पता नहीं है या फिर वे जानकर भी अनजान बने हुए हैं।
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