ओडिशा विधानसभा में विपक्षी दलों के हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। वहीं बीजद विधायकों ने अपनी शिकायतों को लेकर राज्यपाल से मुलाकात भी की। मंत्री मुकेश महालिंग ने इसे मुद्दों से भटकाने की राजनीति करार दिया। मंत्री महालिंग ने कहा कि कांग्रेस ने सदन में स्थगन प्रस्ताव पेश किया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बावजूद, बीजद ने सदन में बार-बार व्यवधान डाले। उनके द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से निराधार और भ्रामक हैं। कांग्रेस और बीजद दोनों को यह तक नहीं पता कि वे किस मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं। कभी वे किसान के मुद्दे उठाते हैं, तो कभी कानून व्यवस्था पर चर्चा करते हैं।
उन्होंने कहा कि किसानों को एमएसपी पर 800 रुपये की अतिरिक्त राशि दी गई है, जबकि बीजद की सरकार ने अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्री द्वारा घोषित 100 रुपये का बोनस भी किसानों को नहीं दिया। मंडी में कोई समस्या नहीं है, किसानों को उनका बकाया मिल रहा है। विपक्ष पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों का उद्देश्य केवल हंगामा करना है, ताकि उनका असली चेहरा उजागर न हो। बीजद और कांग्रेस को किसान विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि इनका कोई नैतिक अधिकार नहीं है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर राज्यपाल से मिलें।
उन्होंने यह भी बताया कि उनकी सरकार ने धान की खरीद के लिए कई अहम फैसले किए हैं, जैसे कि राज्य सरकार ने 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों को समर्थन मूल्य देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने 24 घंटे के भीतर किसानों के खातों में पैसे भेजे और धान की खरीद जारी है।
मंत्री महालिंग ने विपक्ष से अपील की कि वे सदन में मुद्दों पर चर्चा करें और आरोप लगाने के बजाय समाधान पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि हमारे मंत्री और मुख्यमंत्री सदन में किसी भी विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। विपक्ष को सदन में खुलकर अपनी बात रखने का अवसर दिया गया है, लेकिन वे डरते हैं कि यदि वे सही मुद्दों पर बात करेंगे तो उनकी वास्तविकता सामने आ जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस और बीजद को यह समझने की जरूरत है कि वे दोनों अपने-अपने मुद्दों पर विरोध करते हुए, कभी कानून व्यवस्था, कभी किसानों के मुद्दे, तो कभी एमएसपी को लेकर बहस करते हैं। ऐसे में इन दोनों दलों के बीच की स्थिति साफ नहीं है और यह केवल सदन के अंदर हंगामा करने के उद्देश्य से किया जा रहा है। विपक्षी दलों से आग्रह है कि वे सदन में मुद्दों पर स्पष्ट और सकारात्मक चर्चा करें, ताकि लोगों के मुद्दों को सुलझाया जा सके।