चार साल में करदाताओं की संख्या दोगुनी, ईमानदारी से कर चुकाने का मिलता है पुण्य : मोदी  - Punjab Kesari
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चार साल में करदाताओं की संख्या दोगुनी, ईमानदारी से कर चुकाने का मिलता है पुण्य : मोदी 

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नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद पिछले चार साल से अधिक समय में आयकर दाताओं की संख्या करीब दोगुनी होकर पौने सात करोड़ पर पहुंच गई। साथ ही ईमानदारी से कर चुकाने वालों की सराहना करते उन्होंने कहा कि इसका पुण्य करदाताओं को मिलता है। मोदी ने कहा कि ईमानदार व्‍यक्ति जो कर देता है उन्हीं पैसों से कल्याणकारी योजनाएं चलती हैं। इन योजनाओं का पुण्‍य अगर किसी को मिलता है तो सरकार को नहीं बल्कि ईमानदार करदाताओं को मिलता है। उन पैसों से गरीब परिवारों को खाना मिलता है, सस्ता भोजन उपलब्ध होता है। प्रधानमंत्री ने आज 72वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘वर्ष 2013 से पहले तक प्रत्यक्ष कर देने वालों की संख्या जहां चार करोड़ से भी कम थी वहीं आज यह संख्या करीब दोगुनी होकर पौने सात करोड़ तक पहुंच गई। वहीं अप्रत्यक्ष कर के दायरे में आने वाले कारोबारियों, व्यापारियों और उद्यमियों की संख्या पिछले 70 साल में जहां 70 लाख के आंकड़े तक पहुंची थी वहीं माल एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने के एक साल में ही यह 1.16 करोड़ तक पहुंच गई।’’

मुद्रा योजना की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नौजवानों के लिए स्वरोजगार शुरू करने के लिए सरकार की इस योजना के तहत पिछले चार साल में 13 करोड़ लोगों को मुदा योजना के तहत कर्ज दिया गया। इनमें चार करोड़ ऐसे नौजवान हैं जिन्होंने पहली बार कर्ज लिया और कारोबार शुरू किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केन्द्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में रिकार्ड अन्न का भंडार हुआ है। कृषि क्षेत्र में बीज से लेकर बाजार तक मूल्य वर्धन की तैयारी है। पिछले चार साल के दौरान देश दुनिया में दूसरा बड़ा मछली उत्पादक बना है, शहद का निर्यात दोगुना हुआ है। एथेनॉल का उत्पाद तीन गुना हो गया, खादी की बिक्री दोगुनी हुई है। आजादी के बाद कभी खादी के उत्पादों की बिक्री इतनी नहीं बढ़ी। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दो साल के दौरान पांच करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं। यही नहीं इस दौरान ऐसे छह करोड़ लाभार्थियों को जो कि फर्जी तरीके से सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे थे, जिन लोगों का कोई अस्तित्व ही नहीं था उनके नाम हटाए गए और सरकार का 90,000 करोड़ रुपए बचाया गया।

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