राज्यसभा में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर ( के मुद्दे पर चर्चा कराने और उस पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह के जवाब की मांग को लेकर तृणमूल कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के कारण उच्च सदन की बैठक आज दोपहर करीब दो बजकर 10 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गयी। हंगामे के बीच सभापति ने कहा कि इस मुद्दे पर पिछले दो दिनों से गृह मंत्री को मौका नहीं देकर उनके साथ ‘‘अन्याय किया गया है।’’
उच्च सदन में आज भोजनावकाश से पहले की कार्यवाही सामान्य रूप से चलने के बाद दोपहर दो बजे जब बैठक फिर शुरू हुई तो कार्यसूची के अनुसार कृषि क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर अल्पकालिक चर्चा होनी थी। किंतु तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मुद्दे पर गत मंगलवार को शुरू चर्चा को पूरा करवाए जाने और उस पर गृह मंत्री के जवाब की मांग की। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उन्होंने नियम 267 के तहत चर्चा कराने का नोटिस भी दिया है।
इस पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि उनकी मांग को खारिज कर दिया गया है। नायडू ने कहा कि आज सुबह विभिन्न दलों के नेताओं से उनकी बातचीत हुई थी। उसमें कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने कहा था कि इस मुद्दे पर गृह मंत्री को सदन में अपना बयान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक तथ्य है कि चर्चा के समय गृह मंत्री सदन में आये थे। वह कल भी सदन में आए थे। वह जवाब देने को इच्छुक थे और जवाब देने के लिए खड़े भी हुए थे। किंतु गृह मंत्री को जवाब नहीं देने दिया गया।
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नायडू ने कहा कि गृह मंत्री ने उनसे कहा कि वह अपना जवाब नहीं दे पाये इसलिए वह इसे सदन के पटल पर रखना चाहते हैं। कई सदस्य भी चाहते थे कि गृह मंत्री का बयान सदन में होना चाहिए। सभापति ने कहा कि देश में यह गलत संदेश गया है। ‘‘मेरा भी मानना है कि गृह मंत्री के साथ अन्याय हुआ है क्योंकि उन्होंने धैयपूर्वक सभी को सुना, किंतु उनका जवाब नहीं हो सका।’’
नायडू ने कहा कि उन्होंने संसदीय कार्य राज्य मंत्री से कहा है कि वह इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के नेताओं एवं गृह मंत्री से बात करें और उनकी सहमति लें।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व का एक अतिसंवेदनशील विषय है। इस विषय पर हमने विभिन्न पक्षों के लोगों की बात सुनी। अब राष्ट्र के व्यापक हित में आवश्यक हो जाता है कि हमें गृह मंत्री का बयान सुनना चाहिए ताकि यह पता चल सके कि इस मुद्दे पर सरकार क्या सोच रही है?
नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दो दिन पहले इस मुद्दे पर सभी पक्षों के लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये जो बहुत ही संतोष की बात है। इस बीच कुछ सदस्यों ने यह महसूस किया कि इस चर्चा में भाग लेने वाले सदस्यों ने अपनी पार्टी का मत व्यक्त किया। किंतु उस राज्य के प्रतिनिधि के तौर पर संबंधित सदस्यों को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाना चाहिए।
आजाद ने कहा कि यह कैसे हो सकता है कि असम से चुनकर आये हुए प्रतिनिधियों को इस संवेदनशील विषय पर उनके विचार व्यक्त करने का मौका नहीं दिया जाए। उन्होंने कहा कि समाचार चैनलों पर हमारे सांसदों से पूछा जा रहा है कि आप उस राज्य के निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और इस विषय पर आपने ही अपनी राय नहीं रखी। उन्होंने कहा कि न सिर्फ उनकी पार्टी बल्कि उस राज्य से आने वाले सभी पार्टी के सदस्यों को बोलने का अवसर दिया जाना चाहिए। उसके बाद गृह मंत्री उस पर जवाब दें।
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संसदीय कार्य राज्यमंत्री विजय गोयल ने कहा कि गृह मंत्री दो दिन आये, किंतु वह अपना जवाब नहीं दे पाये। उन्होंने कहा कि इसके पीछे के कारणों में वह नहीं जाना चाहते। उन्होंने कहा कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी इस मुद्दे पर अपनी बात पूरी नहीं कर पाए।
गोयल ने कहा कि हम गृह मंत्री से कहेंगे कि जब वह अपना बयान सदन के पटल पर रखें तो उसी समय इस मुद्दे पर सदस्यों के स्पष्टीकरण का जवाब भी दें।
इसी दौरान वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस मुद्दे पर अन्य सदस्यों को उनकी बात कहने का मौका दिये जाने की मांग की जा रही है। किंतु सत्ता पक्ष के एक सम्मानित सदस्य (भाजपा अध्यक्ष शाह) को बात पूरा करने का अवसर नहीं दिया गया। उनकी बात को दबाने का प्रयास किया गया।
इस बीच तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। शोरगुल के बीच ही नायडू ने कहा कि वह गृह मंत्री से बात करेंगे और कल इस बारे में बताएंगे। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर असम के अन्य सदस्यों के विचार भी सुने जाएंगे।
तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के इस मुद्दे पर चर्चा कराये जाने की मांग पर अड़े रहने पर नायडू ने कहा कि गृह मंत्री तीन दिन यहां आये किंतु उन्हें बयान नहीं देने दिया गया। उन्होंने तृणमूल सदस्यों से कहा कि आपने तो आसन के समक्ष आकर उस दिन इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से जवाब देने की मांग की थी। हालांकि उस दिन भी गृह मंत्री जवाब देने को तैयार थे।
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इसी बीच, तृणमूल कांग्रेस के सदस्य आसन के समक्ष आ गये। नायडू ने उनसे अपने स्थानों पर वापस चले जाने का अनुरोध किया। उन्होंने तृणमूल सदस्यों से कहा कि क्या वे किसानों के बेहद महत्वपूर्ण मुद्दों पर सदन में चर्चा नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा कि पूरा देश इसे देख रहा है। उन्होंने कहा कि सदन में एनआरसी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा (पूरी) नहीं होने दी गयी।
उल्लेखनीय है कि गत मंगलवार को उच्च सदन में एनआरसी के मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा पूरी नहीं हो पायी थी। चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा अध्यक्ष शाह ने जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा किये गये असम समझौते और उसी समझौते के तहत एनआरसी का प्रावधान किये जाने का उल्लेख किया था।
उन्होंने कांग्रेस की संकेत करते हुए कहा था, ‘‘आपमें यह हिम्मत नहीं थी। हम में यह हिम्मत है और इसीलिए हम यह करने निकले हैं।’’ उनके इस बयान के बाद कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया और व्यवधान के कारण एनआरएसी के मुद्दे पर न तो चर्चा पूरी हो सकी और न ही चर्चा पर गृह मंत्री राजनाथ सिंह का बयान हो पाया।