राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस साल राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं करेंगे। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अशोक मलिक ने कहा कि राष्ट्रपति ने पदभार ग्रहण करने के बाद निर्णय किया था कि राष्ट्रपति भवन जैसी सार्वजनिक इमारत में करदाताओं के खर्चे पर किसी तरह का धार्मिक समारोह या त्योहार नहीं मनाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक इस कदम से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि राष्ट्रपति भवन पूरे देश के लिए धर्मनिरपेक्ष भाव रखता है, इसलिए इसमें धर्म विशेष से जुड़े किसी भी आयोजन को मंजूरी नहीं दी जाएगी। फिर चाहे वह इफ्तार पार्टी हो या फिर किसी अन्य धर्म या समुदाय से जुड़ा कोई दूसरा कार्यक्रम।
राष्ट्रपति भवन के इस फैसले के बाद देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इसपर चुप्पी साध ली है। कांग्रेस ने कहा कि ये राष्ट्रपति का फैसला है। इसलिए हम इसपर कोई भी बयान नहीं देंगे। कांग्रेस ने कहा है कि राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल उठाना सही नहीं है।
बता दें कि इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल में दिसंबर में राष्ट्रपति भवन में क्रिसमस के दौरान कैरल सिंगिंग और दिवाली का आयोजन भी नहीं हुआ था। इससे साफ है कि रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति रहते राष्ट्रपति भवन में किसी भी धर्म का त्योहार नहीं मनाया जाएगा।
इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भी अपने कार्यकाल के दौरान इफ्तार पार्टियों पर रोक लगा दी थी। वर्ष 2002 से 2007 के बीच राष्ट्रपति भवन में इफ्तार की दावतें नहीं दी गईं। दरअसल राष्ट्रपति कलाम इफ्तार की दावत पर होने वाले खर्च को निर्धन, बेसहारा बच्चों की शिक्षा के लिए दान कर देते थे. हालांकि कलाम के कार्यकाल में क्रिसमस के दौरान कैरल सिंगिंग हुई थी। कलाम के बाद राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने वालीं प्रतिभा पाटिल ने फिर राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी के आयोजन को बहाल किया, जिसको पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी जारी रखा था।
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