निठारी कांड: सुरेंन्द्र कोली और मनिंदर पंढेर को फांसी की सजा - Punjab Kesari
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निठारी कांड: सुरेंन्द्र कोली और मनिंदर पंढेर को फांसी की सजा

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नई दिल्ली: गाजियाबाद की विशेष सीबीआई कोर्ट ने निठारी कांड के दोषियों पर आज फैसला सुनाया. कोर्ट ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर पंढेर को फांसी की सजा की सजा सुनाई। इससे पहले गाजियाबाद की एक विशेष अदालत ने सनसनीखेज निठारी हत्याकांड से जुड़े एक मामले में कारोबारी मोनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को दोषी ठहराया था। न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी ने आज सजा सुनाई. यह मामला पिंकी सरकार (20) की हत्या से जुड़ा है। पंढेर और कोली को इस मामले में अपहरण, बलात्कार और हत्या का दोषी पाया गया था।

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अदालत ने अभियोजन पक्ष के वकील जे. पी. शर्मा की दलीलों पर गौर किया। शर्मा ने अदालत से कहा कि वैज्ञानिक तथ्यों से यह साबित हो चुका है कि कोली ने युवती का अपहरण किया, उसके साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी. उसने सबूतों के साथ छेड़छाड़ भी की. घटना 5 अक्टूबर, 2006 की है, जब पीड़िता अपने कार्यालय से घर लौट रही थी और निठारी में पंढेर के घर के सामने से गुजर रही थी। कोली ने महिला की हत्या कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया और खोपड़ी घर के पिछले हिस्से में फेंक दी। जिसे सीबीआई ने बाद में बरामद किया था. खोपड़ी का डीएनए पीड़िता के माता-पिता के डीएनए से मैच कर गया। कोली के पास बरामद पीड़िता के कपड़ों की पहचान भी उसके माता-पिता ने की थी। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पंढेर इस पूरी आपराधिक साजिश में शामिल था।

 

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यह थी घटना

सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक जेपी शर्मा ने बताया कि नोएडा के निठारी गांव में रह रही पश्चिम बंगाल के बहरामपुर निवासी 20 वर्षीय युवती सेक्टर 37 में एक कोठी में घरेलू सहायिका थी। वह रोजाना निठारी के डी-5 कोठी के सामने से गुजरती थी। पांच अक्टूबर 2006 को वह कोठी में काम करने गई थी। काम खत्म करने के बाद उसने दोपहर 1.30 बजे वहीं सीरियल कुमकुम देखा और फिर घर के लिए रवाना हुई, लेकिन घर नहीं पहुंची। पिता ने नोएडा के थाना सेक्टर-20 में गुमशुदगी की तहरीर दी थी।

पुलिस ने 30 दिसंबर 2006 को नोएडा के सेक्टर 20 थाने में हत्या का मामला दर्ज किया। दस जनवरी 2007 को केस सीबीआइ को ट्रांसफर किया गया।

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इस मामले में सीबीआई ने 11 जनवरी 2007 को पंधेर व कोली के खिलाफ युवती के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का मुकदमा दर्ज किया। जांच के बाद 11 अप्रैल 2007 को चार्जशीट पेश की।

सवा दस साल के मुकदमे की कार्रवाई में विशेष लोक अभियोजक ने 46 गवाहों को पेश कर बयान दर्ज कराए। वहीं, बचाव पक्ष की तरफ से तीन गवाह पेश किए गए। खास बात यह है कि सुनवाई के दौरान सुरेंद्र कोली ने 56 दिन स्वयं बहस की। उसने अपनी पैरवी करने वाले कई अधिवक्ताओं को हटा दिया था।

केस की कुछ महत्त्वपूर्ण बातें
  • निठारी का नर पिशाच सुरेंद्र कोली उत्तराखंड के अल्‍मोड़ा के एक गांव का रहने वाला है।
  • सन 2000 में वह दिल्‍ली आया था।
  • दिल्ली में कोली एक ब्रिगेडियर के घर पर खाना बनाने का काम करता था। बताते हैं कि वह काफी स्‍वादिष्‍ट खाना बनाता है।
  •  2003 में मोनिंदर सिंह पंढेर के संपर्क में सुरेंद्र कोली आया। उसके कहने पर नोएडा सेक्टर-31 के डी-5 कोठी में काम करने लगा।
  • 2004 में पंढेर का परिवार पंजाब चला गया। इसके बाद वह और कोली साथ में कोठी में रहने लगे थे।
  • पंढेर की कोठी में अक्सर कॉलगर्ल आया करती थीं। इस दौरान वह कोठी के गेट पर नजर रखता था।
  • इस दौरान कोली धीरे-धीरे नेक्रोफीलिया नामक मानसिक बीमारी से ग्रसित होता गया। बच्चों के प्रति आकर्षित होने लगा।
  • आरोप है कि वह कोठी से गुजरने वाले बच्चों को पकड़ कर उनके साथ कुकर्म करता और फिर उनकी हत्या कर देता।

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