लंदन हाईकोर्ट ने पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी की जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिससे भारत की प्रत्यर्पण कोशिशों को बल मिला है। नीरव पर 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है और वह मार्च 2019 से लंदन में जेल में बंद है। अदालत के इस फैसले के बाद भारत सरकार का मामला मजबूत हो सकता है।
पीएनबी घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी को लंदन की किंग्स बेंच डिवीजन हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। भारत की ओर से सीबीआई के वकील ने अदालत में नीरव की दलीलों का कड़ा विरोध किया। नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से करीब 14,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। जनवरी 2018 में देश से फरार होने के बाद उसे मार्च 2019 में लंदन में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में बंद है। भारत सरकार लगातार उसके प्रत्यर्पण की कोशिश कर रही है। हालांकि, तमाम अदालती प्रक्रियाओं के चलते अब तक प्रत्यर्पण नहीं हो सका है। नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की राह अभी भी कानूनी बाधाओं से घिरी है। हालांकि भारत सरकार की कोशिशें जारी हैं और पिछली अदालतों द्वारा प्रत्यर्पण को मंजूरी मिल चुकी है। नीरव मोदी की जमानत याचिका खारिज होने के बाद भारत के लिए यह मामला कुछ और मजबूत हो सकता है। अब देखना होगा कि आगे की कानूनी प्रक्रिया किस दिशा में जाती है।
नीरव के खिलाफ भारत में तीन मामले दर्ज
भारत में नीरव मोदी पर तीन अलग-अलग आपराधिक मामले दर्ज हैं। पहला, पीएनबी के साथ धोखाधड़ी का केस जो सीबीआई ने दर्ज किया है। दूसरा, मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा मामला जो ईडी ने शुरू किया है। और तीसरा, सबूतों और गवाहों के साथ छेड़छाड़ का आरोप। फरवरी 2021 में ब्रिटेन की वेस्टमिन्सटर कोर्ट ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी, जिसे बाद में ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने भी स्वीकृत कर दिया। इसके बावजूद प्रत्यर्पण की प्रक्रिया कानूनी अड़चनों में फंसी हुई है।
कैसे हुआ था पंजाब नेशनल बैंक घोटाला?
PNB घोटाले की शुरुआत 2011 में बैंक की मुंबई स्थित ब्रेडी हाउस ब्रांच से हुई थी। नीरव मोदी और उसके सहयोगियों ने फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग्स (LOU) का इस्तेमाल कर हजारों करोड़ की रकम विदेशी बैंकों में ट्रांसफर की। यह घोटाला सात साल तक चलता रहा और फरवरी 2018 में इसका खुलासा हुआ। PNB ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और SEBI को 11,356 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की जानकारी दी। बाद में यह आंकड़ा 13,000 करोड़ से भी ऊपर पहुंचा।
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भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि और पिछला रिकॉर्ड
भारत और ब्रिटेन के बीच 1992 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी, लेकिन अब तक भारत सिर्फ दो भगोड़ों को ही वापस ला पाया है – समीरभाई वीनूभाई पटेल (2016) और संजीव चावला (2020)। वहीं भारत ने ब्रिटेन को तीन आरोपियों को प्रत्यर्पित किया है – सोमैया केतन सुरेंद्र (2009), कुलविंदर सिंह (2013), और मनिंदर पाल सिंह (2017)। यानी प्रत्यर्पण की प्रक्रिया बेहद धीमी और जटिल रही है।