Nepal Politics: नेपाली पीएम पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' की गिरी सरकार, संसद में विश्वास मत हारे
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Nepal Politics: नेपाली पीएम पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की गिरी सरकार, संसद में विश्वास मत हारे

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Nepal Politics: देश की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 69 वर्षीय प्रचंड को 63 वोट मिले, जबकि विश्वासमत प्रस्ताव के विरोध में 194 वोट पड़े। विश्वासमत हासिल करने के लिए कम से कम 138 वोट की जरूरत थी। प्रतिनिधि सभा के 258 सदस्यों ने मतदान में भाग लिया, जबकि एक सदस्य अनुपस्थित रहा।

Highlights:

  • नेपाल में अल्पमत में पहुंची पुष्प कमल दहल प्रचंड की सरकार
  • पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने दिया इस्तीफा
  • नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल की नेतृत्व वाली सरकार पर है दारोमदार

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-माओइस्ट सेंटर (सीपीएन-एमसी) के अध्यक्ष प्रचंड 25 दिसंबर, 2022 को पद संभालने के बाद चार बार विश्वासमत हासिल करने में सफल रहे, लेकिन इस बार उन्हें असफलता मिली। प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष देव राज घिमिरे ने प्रचंड के विश्वासमत प्रस्ताव को संविधान के अनुच्छेद 100 खंड 2 के अनुसार मतदान के लिए रखा। मतदान पूरा होने के बाद उन्होंने घोषणा की कि प्रधानमंत्री प्रचंड विश्वासमत हासिल करने में असफल रहे।
Nepal's politicians are hiding a democratic deficit. Look beyond the  elections.

केपी ओली के नेतृत्व वाली गठबंधन को न्योता भेज सकते हैं सदन के अध्यक्ष

प्रतिनिधि सभा अध्यक्ष घिमिरे अब राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को सूचित करेंगे, जो संविधान के अनुच्छेद 76 खंड 2 के अनुसार दो या दो से अधिक राजनीतिक दलों को नयी सरकार के लिए दावा पेश करने के लिए आमंत्रित करेंगे। इससे नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के लिए नयी गठबंधन सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। सीपीएन-यूएमएल ने सदन में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के साथ सत्ता-साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद पिछले सप्ताह प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।

Nepal PM Pushpa Kamal Dahal 'Prachanda' loses vote of confidence in  Parliament - The Hindu

केपी ओली के प्रधानमंत्री बनने के साफ संकेत

नेपाली कांग्रेस के पास प्रतिनिधि सभा में 89 सीट हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीट हैं। इस तरह दोनों की संयुक्त संख्या 167 है, जो निचले सदन में बहुमत के लिए आवश्यक 138 से कहीं अधिक है। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा पहले ही अगले प्रधानमंत्री के रूप में ओली का समर्थन कर चुके हैं। देउबा और ओली ने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार को अपदस्थ करने और नयी गठबंधन सरकार बनाने के लिए सोमवार को सात सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

जानिए गठबंधन के समझौते में क्या शर्तें हैं शामिल

समझौते के अनुसार, ओली और देउबा प्रतिनिधि सभा की शेष अवधि के दौरान बारी-बारी से प्रधानमंत्री पद साझा करेंगे। पहले चरण में ओली डेढ़ साल के लिए प्रधानमंत्री बनेंगे और उसके बाद बाकी अवधि के लिए देउबा प्रधानमंत्री रहेंगे। प्रचंड की पार्टी के पास प्रतिनिधि सभा में 32 सीट हैं। वह सीपीएन-यूएमएल के समर्थन से 25 दिसंबर 2022 को तीसरी बार प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए थे।

विपक्ष देश को पीछे धकेलने का लगा रहे थे आरोप

बता दें कि प्रचंड को नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 खंड 2 के अनुसार प्रधानमंत्री चुना गया था, जिसमें दो या दो से अधिक दलों के समर्थन से प्रधानमंत्री चुनने का प्रावधान है। शुक्रवार दोपहर प्रतिनिधि सभा का सत्र शुरू होते ही प्रचंड ने साझा सिद्धांतों के बजाय ‘‘डर के चलते’’ गठबंधन बनाने को लेकर नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल की तीखी आलोचना की तथा उन पर देश को पीछे की ओर धकेलने का आरोप लगाया।

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