नयी दिल्ली : रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को अदालत से बाहर बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर की ओर से मध्यस्थता की पेशकश किए जाने पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आज कहा कि कोई ठोस फार्मूला आने पर ही वह इस मामले पर बातचीत की दिशा में आगे बढ़गा। पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलीलुर रहमान सज्जाद नोमानी ने कहा, कई बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। हम हवा में कोई बातचीत नहीं करना चाहते। अगर हमारे सामने आधिकारिक तौर पर कोई ठोस फार्मूला पेश किया जाता है तो बोर्ड बातचीत को लेकर गौर करेगा। हम यह नहीं कर रहे हैं कि हम बातचीत नहीं करना चाहते, लेकिन कोई ठोस फार्मूला हो तो हम कुछ कहें।
आर्ट ऑफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर के बयान में बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, हम सिर्फ यह कहना चाहते हैं कि अगर किसी के पास न्यायसंगत और ठोस फार्मूला है तो वह बोर्ड के पास भेजे। उसके बाद हम विचार करेंगे। श्री श्री रविशंकर ने शनिवार को मध्यस्थता की पेशकश करते हुए कहा, दोनों समुदायों को एक मंच की जरूरत है जहां वे भाईचारे के साथ इस मुद्दे पर चर्चा कर सकें और सौहार्द दिखा सकें। अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं और लोग शांति चाहते हैं।
दरअसल, बीते छह अक्तूबर को पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़ मुफ्ती एजाज अरशद कासमी बेंगलुरू में श्री श्री आश्रम गए थे और इसके बाद मीडिया के एक हिस्से में ऐसी खबरें आइ’ कि श्री श्री ने बोर्ड से बातचीत के लिए संपर्क किया है, हालांकि कासमी ने कहा कि आर्ट ऑफ लीविंग के आश्रम के उनके दौरे से बोर्ड का कोई लेनादेना नहीं हैं। कासमी ने कहा, मैं और कुछ अन्य लोग निजी हैसियत से वहां गए थे और इसे बोर्ड से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
उधर, बोर्ड के एक अन्य प्रमुख सदस्य कमाल फारूकी ने कहा कि ठोस प्रस्ताव आने पर ही बातचीत हो सकती है। फारूकी ने कहा, बातचीत एकतरफा नहीं हो सकती। बातचीत के लिए कोई ठोस प्रस्ताव होना चाहिए और कोई पूर्व शर्त नहीं होनी चाहिए। अगर हमारे पास आधिकारिक रूप से कोई ठोस प्रस्ताव आता है तो हम विचार करेंगे। उन्होंने कहा, मध्यस्थता के संदर्भ में निजी तौर पर यह राय है कि मध्यस्थता में विभिन्न धमो’ के लोग होने चाहिए। गौरतलब है कि रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद फिलहाल उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है।