गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए पर्यटन नीति बनाने की जरूरत : एनजीटी - Punjab Kesari
Girl in a jacket

गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए पर्यटन नीति बनाने की जरूरत : एनजीटी

ऐसा न होने पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा कि गंगा नदी के आसपास यातायात को नियमित करने और ठोस कचरे के वैज्ञानिक निस्तारण के लिए सभी क्षेत्रों के समुचित नियोजन के साथ-साथ एक पर्यटन नीति बनाने की जरूरत है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि गंगा में प्रदूषण रोकने के लिए अवजल शोधन संयंत्र (एसटीपी) और नालियों के संजाल की स्थापना में हो रही देरी से राज्यों को हर महीने प्रति एसटीपी 10 लाख रुपया देना हो सकता है। 
इसमें कहा गया कि जहां काम शुरू नहीं हुआ है, वहां जरूरी है कि गंगा नदी में बिना शोधन के कोई भी अवजल न छोड़ा जाए। एनजीटी ने कहा कि अंतरिम उपाय के तौर पर सकारात्मक रूप से जैवोपचारण या कोई भी दूसरा शोधन उपाय एक नवंबर तक शुरू हो जाना चाहिए। ऐसा न होने पर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रति नाला प्रति माह पांच लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। 
1566906706 ganga
पीठ ने कहा, “इसे, एसटीपी की स्थापना में देरी के लिए अपवाद के तौर नहीं लिया जा सकता। काम में देरी के लिए मुख्य सचिव को जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान कर उन्हें विशिष्ट जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए। जहां कहीं भी उल्लंघन हो तो ऐसे पहचाने गए अधिकारियों की वार्षिक गोपनीयता रिपोर्ट (एसीआर) में प्रतिकूल टिप्पणी होनी चाहिए।” 
एनजीटी ने कहा, “एसटीपी और नालियों के संजाल की स्थापना में तय समयसीमा से ज्यादा की देरी को लेकर राज्यों पर प्रति एसटीपी और उसके नेटवर्क को पर हर महीने 10 लाख रुपये की देनदारी हो सकती है। राज्य यह रकम दोषी अधिकारियों/ठेकेदारों से वसूलने के लिये स्वतंत्र होंगे।” 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।