तालाब में बदला नालंदा मे‌डिकल कॉलेज, मरीज बेहाल, स्टाफ परेशान - Punjab Kesari
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तालाब में बदला नालंदा मे‌डिकल कॉलेज, मरीज बेहाल, स्टाफ परेशान

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बिहार में शुक्रवार की रात से जारी बारिश से शनिवार की रात तक शहर में सैलाब की स्थिति उत्पन्न हो गई। जहां पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‌निवास के नजदीक सड़क पानी से लबालब है वहीं  क्षेत्र के सभी निचले इलाकों में दो से चार फीट तक पानी जमा हो गया। सम्प हाउस के ठीक से काम नहीं करने के कारण पानी का समुचित निकास नहीं हो पा रहा है। नालंदा मेडिकल कॉलेज की तो डराने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां अस्पताल के आईसीयू में बारिश का गंदा पानी घुस गया है। ऐसे में अस्पताल में इलाज करा रहे मरीजों को अस्पताल से डर लगने लगा है। बदइंतजामी के लिए मशहूर पटना का यह अस्पताल 100 एकड़ में फैला है और इसमें 750 बेड हैं।

एक तरफ जहां बारिश से आधा देश परेशान है, वहीं नालंदा मेडिकल कॉलेज की तस्वीरें परेशान करने वाली हैं। पटना के दूसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पानी में सबकुछ तैर रहा है और मरीज बेड पर लेटे हैं। यही नहीं, पानी में मछलियां तैर रही हैं। ऐसे में मरीजों कों अस्पताल से ही खतरा लगने लगा है।

 

अस्पताल में बेड और स्ट्रेचर पर मरीज लेटे हुए हैं और नीचे घुटने भर पानी भरा हुआ है। डॉक्टर इसी पानी के बीच मरीजों का इलाज करने पर मजबूर हैं। आईसीयू में भी पानी भरा हुआ है। गौर हो कि आईसीयू में वहीं मरीज आते हैं जिनकी स्थिति बेहद गंभीर होती है।ऐसे में सवाल उठता है कि जब अस्पताल ही बीमार है तो मरीज कैसे स्वस्थ्य हो सकते हैं। मरीजों के साथ आए परिजनों ने पानी के बीच खड़े-खड़े रात गुजारी और भूखे रहकर सुबह होने का इंतजार किया। हलांकि सुबह होने के बाद भी पानी अस्पताल के वार्ड से बाहर नहीं किया गया।

भारी बारिश से अस्पताल के वार्ड से लेकर आईसीयू तक में पानी घुस गया है। बिहार के इस सरकारी अस्पताल में रोजाना हजारों मरीज आते हैं ताकि उनका इलाज हो सके लेकिन ये अस्पताल तो खुद बारिश में बीमार नजर आ रहा है।

अस्पताल की हालत देख कई सवाल उठते हैं। पानी में तैरते अस्पताल के लिए कौन जिम्मेदार है। क्या सीएम नीतीश कुमार का सिस्टम भी इस पानी में डूब गया है।

  • क्या उनका सुशासन इस पानी में समा गया है?
  • आखिर इन मरीजों को खतरे का जिम्मेदार कौन है?
  • क्यों नहीं पहले से तैयारी की गई?
  • इन गरीब लाचार मरीजों का क्या कसूर है?

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