बिजली सुधारों में उपभोक्ताओं को ज्यादा अधिकार, सेवा में कमी पर कंपनियां भरेंगी जुर्माना : आर के सिंह - Punjab Kesari
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बिजली सुधारों में उपभोक्ताओं को ज्यादा अधिकार, सेवा में कमी पर कंपनियां भरेंगी जुर्माना : आर के सिंह

सरकार बिजली क्षेत्र में दूसरे चरण के सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाने पर काम कर रही है।

सरकार बिजली क्षेत्र में दूसरे चरण के सुधारों को तेजी से आगे बढ़ाने पर काम कर रही है। इसमें अन्य बातों के अलावा उपभोक्ताओं को सशक्त बनाया जा रहा है। इसके तहत ग्राहकों को 24 घंटे बिजली नहीं मिलने और स्थानीय समस्याओं को निर्धारित समय पर दूर नहीं किये जाने की स्थिति में वितरण कंपनियों को जुर्माना भरना होगा। 
बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा, ‘‘हम बिजली क्षेत्र में किये जा रहे सुधारों के तहत उपभोक्ताओं को अधिकार दे रहे हैं और यह पहली बार हो रहा है। बिजली देना एक सेवा है और उसके कुछ मानदंड है। ग्राहकों को 24 घंटे बिजली नहीं मिलने पर वितरण कंपनियों को उन्हें जुर्माना भरना होगा। इतना ही नहीं ट्रांसफॉर्मर या किसी अन्य स्थानीय गड़बड़ी के निर्धारित समयसीमा में ठीक नहीं होने पर भी वितरण कंपनियों को ग्राहकों को जुर्माना देना पड़ेगा।’’ 
उन्होंने कहा कि ये सब नई प्रशुल्क नीति में प्रावधान किये जा रहे हैं। यह फिलहाल मंत्रिमंडल के पास है जिसे जल्दी ही मंजूरी मिलने की उम्मीद है। बिजली दरों को वाजिब स्तर पर बनाये रखने के लिये क्रास सब्सिडी (एक की लागत पर दूसरे को सब्सिडी) व्यवस्था पर लगाम लगाने और सब्सिडी का लाभ सीधे ग्राहकों को देने जैसे उपाय किये जा रहे हैं। 
सेवा गुणवत्ता का निर्धारण केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग और राज्य विद्युत नियामक आयोग मिलकर करेंगे। जुर्माने की राशि का निर्धारण राज्य विद्युत नियामक करेंगे। राजग सरकार का पहला कार्यकाल हर गांव और हर घर बिजली उपलब्ध कराने के लिये सुर्खियों में रहा। बिजली मंत्रालय इस बार क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सुधार लाने के लिये कदम उठा रहा है। इसमें नई शुल्क नीति के साथ बिजली वितरण कंपनियों को पटरी पर लाने की उदय योजना में सुधार करना भी शामिल हैं। विशेषज्ञ इसे दूसरे चरण का सुधार कह रहे हैं। 

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बिजली दरों से जुड़े एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा, ‘‘हमने बिजली शुल्क को युक्तिसंगत बनाने के लिये कदम उठाया है। इसके तहत यह व्यवस्था की गयी है कि जो सबसे कुशल बिजलीघर हैं और जहां अपेक्षाकृत बिजली की उत्पादन लागत कम है और जहां अतिरिक्त बिजली उपलब्ध है, कंपनियां वहां से पहले बिजली की आपूर्ति करेंगी। इसे बिजली खरीद समझौते (पीपीए) में शामिल किया गया है।’’ 
मंत्री ने कहा, ‘‘यह व्यवस्था फिलहाल सरकारी बिजलीघरों के लिये लागू की गई है लेकिन हम जल्दी ही सभी बिजलीघरों के लिये इसे लागू करने जा रहे हैं।’’ बिजली मंत्री ने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, ‘‘मान लीजिए अगर किसी पुराने संयंत्र से बिजली का उत्पादन 3.50 रुपये यूनिट है और उसी कंपनी के दूसरे दक्ष संयंत्र से लागत तीन रुपये यूनिट पड़ती है। ऐसे में उन्हें अतिरिक्त क्षमता उपलब्ध होने पर पहले अधिक दक्ष संयंत्र से बिजली की आपूर्ति करनी होगी। इससे बिजली की दरें कम होंगी।’’ 
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्यमंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल रहे सिंह ने कहा, ‘‘इसके अलावा हम वितरण कंपनियों को सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटी एंड सी) नुकसान को कम करने के लिये कह रहे हैं। अगर उनका नुकसान निश्चित सीमा (15 प्रतिशत) से अधिक होता है तो उन्हें इस आधार पर बिजली दरें बढ़ानी की अनुमति नहीं होगी।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही हम क्रास सब्सिडी पर भी अंकुश लगा रहे हैं। राज्य सरकारें अगर किसी को सब्सिडी देना चाहती है तो उन्हें यह सीधे ग्राहकों को देनी होगी। इसके अलावा अगले तीन साल में सभी ग्राहकों को प्रीपेड / स्मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य होगा। इससे वितरण कंपनियों के बिल के मामले में जो समस्या है, वह खत्म होगी और वे अधिक दक्ष होंगे जिसका सकारात्मक असर बिजली दरों पर पड़ेगा।’’ 
सिंह ने कहा कि प्रशुल्क नीति और संशोधित उदय योजना के तहत अगर वितरण कंपनियां नुकसान को कम नहीं करेंगी तो उन्हें केंद्र से किसी प्रकार की सहायता और पावर फाइनेंस कारपोरेशन से कर्ज नहीं मिलेगा। अन्य सुधारों के अलावा बिजली मंत्रालय शुल्क में नियमित संशोधन को भी अनिवार्य करने के उपाय कर रहा है। इसके तहत विद्युत नियामक हर साल बिजली दरों में संशोधन करेगा। 
मंत्री ने कहा, ‘‘बिजली शुल्क का नियमित रूप से संशोधन नहीं होता जबकि भाड़ा, ईंधन की लागत बढ़ती है। हर साल शुल्क की समीक्षा होगी। यह अनिवार्य होगा। हमारा सातों दिन 24 घंटे बिजली का लक्ष्य है और यह तभी पूरा होगा जब वितरण कंपनियां मजबूत होंगी।’’ 

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