सोनिया गांधी ने राज्यसभा में मनरेगा मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने मजदूरी बढ़ाने और कार्य दिनों की संख्या बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि मनरेगा ग्रामीण गरीबों के लिए महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच है और इसे कमजोर नहीं किया जाना चाहिए।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार यानी आज राज्यसभा में कई मुद्दों पर सवाल उठाए। राज्यसभा के शून्यकाल के दौरान सोनिया गांधी ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का मुद्दा उठाया। सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर मनरेगा कमजोर करने का आरोप लगाया। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने कानून के तहत मनरेगा मजदूरों की मजदूरी और कार्य दिनों की संख्या बढ़ाने की मांग की।
केंद्र सरकार पर लगाए आरोप
सोनिया गांधी ने कहा कि मनरेगा कानून को जारी रखा जाए और इसके विस्तार के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान किए जाएं। उन्होंने कहा कि यह ‘ऐतिहासिक कानून’ लाखों ग्रामीण गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच रहा है। उन्होंने कहा, हालांकि यह गहरी चिंता का विषय है कि वर्तमान भाजपा सरकार ने व्यवस्थित रूप से इसे कमजोर कर दिया है। इसके लिए बजट में केवल 86 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए गए, जो पिछले दस सालों में जीडीपी के प्रतिशत के रूप में सबसे कम है।
न्यूनतम मजदूरी बढ़ाए सरकार- सोनिया गांधी
सोनिया गांधी ने मनरेगा को लेकर सरकार से मांग करते हुए कहा, ‘इसके साथ ही मजदूरी में न्यूनतम 400 रुपये प्रतिदिन की वृद्धि की जाए, मजदूरी की राशि समय पर जारी की जाए, एबीपीएस और एनएमएमएस की अनिवार्यता समाप्त की जाए, गारंटीकृत कार्य दिवसों की संख्या 100 से बढ़ाकर 150 दिन प्रति वर्ष की जाए।’ उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत सम्मानजनक रोजगार और वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ये उपाय जरूरी हैं।
सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि वेतन भुगतान और वेतन दरों में लगातार देरी मुद्रास्फीति को संतुलित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि इन चिंताओं के मद्देनजर कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि योजना को जारी रखने और इसका विस्तार करने के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान किए जाएं।
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