वर्ष 2030 तक देश की 12 प्रतिशत आबादी की उम्र 60 वर्ष से अधिक होगी और इन 15 करोड़ लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित के लिए सरकार नीति ला सकती है। नीति आयोग ने इस संबंध में सरकार की मदद के लिए पूरा मसौदा जारी किया है। मसौदे में बुजुर्गों को मुख्य रूप से चार सेक्टर स्वास्थ्य, सामाजिक, आर्थिक व डिजिटल रूप से सुरक्षित करने की सिफारिश की गई है।
Highlights
- बुजुर्गों के लिए मोदी सरकार उठाने जा रहा बड़ा कदम
- वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं में कमी
- 65 साल तक की आयु तक रोजगार का कानून
वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं में कमी
नीति आयोग का कहना है कि इन चार सेक्टर में वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली सुविधाओं में जो कमी है, उसे पूरा करके बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर आयोग ने बताया कि देश में 78 प्रतिशत बुजुर्गों के पास पेंशन की कोई सुविधा नहीं है। सिर्फ 18 प्रतिशत बुजुर्गों के पास ही स्वास्थ्य बीमा है। डिमेनशिया जैसी मानसिक बीमारी से पीडि़त होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 20 प्रतिशत बुजुर्ग किसी न किसी रूप में मानसिक रूप से पीडि़त होते हैं। परिवार में लोगों की संख्या कम होती जा रही है, इसलिए बुजुर्गों की देखभाल करने वालों की कमी होती जा रही है।
बुजुर्गों की आर्थिक निर्भरता प्रभावित
60 साल के बाद उपार्जन के अवसर नहीं मिलने से भी बुजुर्गों की आर्थिक निर्भरता प्रभावित होती है। धीरे-धीरे सभी सेक्टर डिजिटल होते जा रहे हैं इसलिए वित्तीय सुरक्षा से लेकर अन्य सुविधाओं को हासिल करने के लिए भी बुजुर्गों को डिजिटल रूप से जागरूक करना होगा। नीति आयोग ने अपने मसौदे में जापान, स्वीडन, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, सिंगापूर, ब्रिटेन जैसे कई देशों में बुजुर्गों को दी जाने वाली आर्थिक व स्वास्थ्य सुरक्षा का मॉडल भी दिया है।
65 साल तक की आयु तक रोजगार का कानून
जापान में 65 साल तक की आयु तक रोजगार का कानून है ताकि व देश की उत्पादकता में बुजुर्ग भी अपना योगदान दे सके और आर्थिक रूप से स्वतंत्र रह सके। वैसे ही, जर्मनी में 85 प्रतिशत आबादी सरकारी हेल्थ स्कीम के तहत कवर होते हैं और बाकी की 15 प्रतिशत के पास निजी हेल्थ इंश्योरेंस हैं। नीति आयोग के मसौदे के मुताबिक बुजुर्गों की आर्थिक सुरक्षा के लिए उनके अनुभव व उनकी कुशलता के मुताबिक पेशे का सृजन करना चाहिए।
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