केन्द्रीय कैबिनेट ने एक साथ तीन बार तलाक बोलकर संबंध विच्छेद की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के लिए बुधवार को नए विधेयक को मंजूरी दी। केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस आशय की जानकारी दी।
यह विधेयक भाजपा-नीत पूर्ववर्ती राजग सरकार की ओर से फरवरी 2019 में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा। जावड़ेकर ने कहा कि नया विधेयक सोमवार से शुरू हो रहे संसद के नए सत्र में पेश किया जाएगा।
आपको बता दे कि नया विधेयक 17 जून से शुरू हो रहे 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में पेश किया जा सकता है।
विपक्ष राज्यसभा में विधेयक के प्रावधानों का विरोध करता रहा है और राज्यसभा में सरकार के पास संख्याबल की कमी है।
एक बार में तीन तलाक की परंपरा को दंडनीय अपराध बनाने वाले मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक का विपक्षी दलों ने विरोध किया।
विपक्ष का दावा है कि अपनी पत्नी को तलाक देने वाले पति के लिए जेल की सजा कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है। सरकार दो बार तीन तलाक पर अध्यादेश लागू कर चुकी है।
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश 2019 के तहत, एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और शून्य रहेगा और ऐसा करने वाले पति के लिए तीन साल के कारावास का प्रावधान रहेगा।
सितंबर 2018 में लागू पिछले अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए पेश विधेयक को दिसंबर में लोकसभा ने तो मंजूरी दे दी थी लेकिन यह राज्यसभा में लंबित था। विधेयक के संसद के दोनों सदनों से मंजूरी नहीं मिलने पर नया अध्यादेश लागू किया गया था।