बिहार सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने राज्य में पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता की विशेष अपील की है। बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन द्वारा आयोजित बजट 2025-26 पर चर्चा में भाग लेने आये पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के मंत्री भूपेन्द्र यादव से मुलाकात के दौरान उन्होंने ये अपील की और केंद्र सरकार को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजा है, जिसमें विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं के लिए अनुदान की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है।
केन्द्रीय मंत्री को ज्ञापन सौंपने के बाद मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि बिहार में कई महत्वपूर्ण योजनाएं केंद्र सरकार की मंजूरी और राशि विमुक्ति के इंतजार में रुकी हुई हैं। इनमें एकीकृत वन्यजीव पर्यावास विकास योजना (60:40), बाघ परियोजना एवं गज योजना (60:40 एवं 50:50) की अगली क़िस्त और नगर वन योजना (2024-25) के तहत अररिया वन प्रमंडल में 13.75 हेक्टेयर क्षेत्र में नगर वन विकसित करने के लिए 56.85 लाख रुपये का प्रस्ताव लंबित है।डॉ प्रेम कुमार ने बताया कि स्कूल नर्सरी योजना के मजदूरी दरों में वृद्धि के बाद 1.40 लाख रुपये का मॉडल एस्टीमेट केंद्र को भेजा गया है। साथ ही नमामि गंगे योजना (Forestry Interventions for Ganga) के तहत गंगा किनारे वनों की बहाली और जल संरक्षण की योजना भी स्वीकृति की प्रतीक्षा में है। मंत्री ने रजौली (नवादा) वन्यप्राणी आश्रयणी, नकटी पक्षी आश्रयणी (जमुई), अररिया में प्रस्तावित चिड़ियाघर और गया में गौतम बुद्ध आश्रयणी जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स की ओर भी केंद्र का ध्यान आकर्षित किया है। ये सभी परियोजनाएं पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और जैव विविधता संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
डॉ कुमार ने केंद्र को आठ प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग की संभावना दर्शाई, जिसके तहत वन संरक्षण एवं वृक्षारोपण ( ग्रीन क्रेडिट फंड, वृक्षारोपण अभियान और वनों की बहाली के लिए अनुदान।), पारिस्थितिकी एवं जैव विविधता संरक्षण (जलीय पक्षी गणना और संवेदनशील क्षेत्रों के संरक्षण हेतु सहायता।), जल प्रबंधन (जल संसाधनों और आर्द्रभूमियों का संरक्षण।), वन्य जीव संरक्षण (राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों के लिए अनुदान।), वायु गुणवत्ता सुधार (वायु प्रदूषण नियंत्रण और मॉनिटरिंग नेटवर्क की स्थापना।), कचरा प्रबंधन एवं पुनर्चक्रण (ठोस कचरे और प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए सहयोग।), सतत विकास एवं हरित बुनियादी ढांचा (पर्यावरण अनुकूल परियोजनाओं को समर्थन।) और पर्यावरण शिक्षा और जागरूकता (स्कूलों और कॉलेजों में पर्यावरणीय शिक्षा और जनजागरूकता अभियान।) महत्व पूर्ण है। मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा, “बिहार में पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। लेकिन राज्य की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए केंद्र सरकार का सहयोग बेहद आवश्यक है। हमने कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं केंद्र को भेजी हैं, जिनकी मंजूरी मिलने पर राज्य में पर्यावरण संरक्षण को नई गति मिलेगी।” उन्होंने आशा जताई कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द इन परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान करेगी और बिहार को वित्तीय सहयोग उपलब्ध कराएगी।