व्यभिचार संबंधी कानून खत्म करने से वैवाहिक संस्था नष्ट हो जायेगी : केन्द्र ने SC से कहा - Punjab Kesari
Girl in a jacket

व्यभिचार संबंधी कानून खत्म करने से वैवाहिक संस्था नष्ट हो जायेगी : केन्द्र ने SC से कहा

केन्द्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय से कहा कि किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी से विवाहेत्तर यौन संबंध

केन्द्र सरकार ने आज उच्चतम न्यायालय से कहा कि किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी से विवाहेत्तर यौन संबंध स्थापित करने पर सजा का प्रावधान करने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 497 को निरस्त करने से वैवाहिक संस्था ही नष्ट हो जायेगी।

गृह मंत्रालय ने धारा 497 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुये शीर्ष अदालत से कहा कि यह धारा वैवाहिक संस्था का समर्थन और उसका संरक्षण करती है।

हलफनामे में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 497 और दंड प्रक्रिया की धारा 198(2) को निरस्त करना भारतीय लोकाचार के मूल्यों के लिये नुकसानदेह होगा जो विवाह को पवित्रता प्रदान करते हैं।

हलफनामे के अनुसार मौजूदा याचिका में कानून के जिन प्रावधान को चुनौती दी गयी है उन्हें विधायिका ने भारतीय समाज के विशिष्ट ढांचे और संस्कृति को ध्यान में रखते हुये अपने विवेक से विवाह को संरक्षण और उसकी पवित्रता की संरक्षा के लिये बनाया है।

केन्द्र ने हलफनामे में अपराध न्याय व्यवस्था में सुधार पर न्यायमूर्ति मलिमथ समिति की रिपोर्ट का भी हवाला दिया है जिसमें धारा 497 को लैंगिक भेदभाव मुक्त बनाने का सुझाव दिया गया था।

हलफनामे के अनुसार विधि आयोग भी इस समय इन मुद्दों पर विचार कर रहा है और उसने कुछ पहलुओं की पहचान की है जिन पर विचार के लिये उप समूहों का गठन किया है।

हलफनामे में कहा गया है कि व्यभिचार को अपराध के दायरे से बाहर करने से वैवाहिक रिश्ते की पवित्रता कमजोर होगी और इसमें शिथिलता आ जायेगी।

भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी से यौन संसर्ग करता है तो इस तरह का यौन संसर्ग बलात्कार के समान होगा और ऐसा करने वाला व्यक्ति व्यभिचार के कृत्य का दोषी होगा। इस अपराध के लिये पांच साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है। लेकिन ऐसे मामलों में पत्नी को अपराध के लिये उकसाने के आरोप में सजा नहीं हो सकती।

शीर्ष अदालत ने व्यभिचार से संबंधित कानूनी प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली प्रवासी भारतीय जोसेफ शाइन की याचिका इस साल संविधान पीठ के पास विचारार्थ भेज दी थी।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले याचिका पर सरकार का रूख जानना चाहा था क्योंकि इसमें कहा गया है कि किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी के साथ उसकी रजामंदी से यौनाचार करने के लिये सिर्फ उस व्यक्ति को व्यभिचार के अपराध के लिये दंडित किया जाता है।

याचिका में कहा गया है कि पहली दृष्टि में धारा 497 असंवैधानिक है क्योंकि यह पुरूषों के साथ भेदभाव करती है और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन करती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।