महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर, संगम नगरी प्रयागराज एक बार फिर श्रद्धालुओं के अटूट विश्वास और भक्ति का केंद्र बन गई है। मौनी अमावस्या, जिसे महाकुंभ का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र स्नान पर्व माना जाता है, मौनी अमावस्या पर 10 करोड़ से अधिक लोगों के गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने की संभावना है। यह दिन सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है, जब श्रद्धालु मौन धारण कर पवित्र स्नान के जरिए आत्मशुद्धि और मोक्ष की कामना करते हैं।
मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की अमावस्या तिथि को आती है। इसे मौन रहकर आत्मचिंतन और तपस्या का दिन माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से महाकुंभ के दौरान इस तिथि का महत्व और भी बढ़ जाता है। यही कारण है कि करोड़ों श्रद्धालु देश-विदेश से संगम नगरी पहुंचते हैं।
श्रद्धालुओं का जनसैलाब
महाकुंभ 2025 के अब तक के 17 दिनों में 15 करोड़ से अधिक लोग पवित्र स्नान कर चुके हैं। मौनी अमावस्या पर इस संख्या में बड़ा इजाफा होने की संभावना है। प्रशासन का अनुमान है कि बुधवार को 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालु गंगा और संगम में डुबकी लगाएंगे। संगम क्षेत्र में भक्तों की भीड़ सुबह से लेकर देर रात तक बनी रहेगी।
यह सागर है आस्था का, यह संगम है विश्वास का…✨ pic.twitter.com/6d0NsCRg04
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मकर संक्रांति पर 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं, संतों और कल्पवासियों ने किया था अमृत स्नान
प्रदेश सरकार के मुताबिक, मकर संक्रांति (14 जनवरी) को 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं, संतों और कल्पवासियों ने अमृत स्नान में हिस्सा लिया। वहीं आगामी मौनी अमावस्या के लिए आठ से 10 करोड़ लोगों के 28 से 30 जनवरी तक स्नान करने की संभावना है। अकेले मंगलवार को 4.80 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया। यह संख्या मकर संक्रांति को अमृत स्नान में डुबकी लगाने वाले 3.5 करोड़ लोगों से भी अधिक है।
बुधवार को सुबह पौने सात बजे श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा करने की योजना
राज्य सरकार ने कहा कि उसने मौनी अमावस्या के अवसर पर बुधवार को सुबह पौने सात बजे श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा करने की योजना बनाई है।
महाकुम्भ प्रयागराज के द्वितीय अमृत स्नान पर्व “मौनी अमावस्या” की पूर्व संध्या पर श्रद्धालुओं का जन सैलाब ✨ pic.twitter.com/vHZrtXL0WV
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अमृत स्नान का मुख्य आकर्षण विभिन्न अखाड़ों के साधुओं का स्नान
अमृत स्नान (पूर्व में शाही स्नान), महाकुंभ मेले का सबसे पवित्र और सबसे बड़ा स्नान पर्व होता है जिसमें दुनियाभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाने के लिए आते हैं। अमृत स्नान का मुख्य आकर्षण विभिन्न अखाड़ों के साधुओं का स्नान होता है।
मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों का जल अमृत में हो जाता है परिवर्तित
अमृत स्नान की तिथियां सूर्य, चंद्र और बृहस्पति के ज्योतिषीय मेल पर आधारित होती हैं और माना जाता है कि इनके योग से पवित्र नदियों की अध्यात्मिक शक्ति बढ़ जाती है। यह भी माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों का जल अमृत में परिवर्तित हो जाता है। मौनी अमावस्या का स्नान पारंपरिक रूप से मौन रहकर किया जाता है।
आस्था का जनसैलाब है, ये महाकुम्भ प्रयागराज है 🚩
भारत की अद्भुत सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का जीवंत प्रतीक है द्वितीय अमृत स्नान “मौनी अमावस्या” 🔱
यह पर्व सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि सनातन संस्कारों और आस्था का महाज्वार है। pic.twitter.com/rKa1mfq6FN
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प्रशासन की तैयारी
उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन ने मौनी अमावस्या पर भारी भीड़ को संभालने के लिए विशेष तैयारियां की हैं। मेला क्षेत्र के हर हिस्से में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। एआई-सक्षम सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन की मदद से श्रद्धालुओं की हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। साथ ही, कुंभ मेला क्षेत्र में चप्पे-चप्पे पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई है।
यातायात और परिवहन सुविधाएं , 150 से अधिक ट्रेनें चलाने का लक्ष्य
श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए अतिरिक्त बसें, विशेष ट्रेनें, और ट्रैफिक डायवर्जन की योजनाएं लागू की गई हैं। वाहनों को पार्किंग स्थलों तक ही सीमित रखा गया है, जिससे मेले में अव्यवस्था न हो।
उत्तर मध्य रेलवे के वरिष्ठ जन संपर्क अधिकारी अमित मालवीय ने मंगलवार को बताया कि उत्तर मध्य रेलवे, उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे ने अपने-अपने स्टेशनों से ट्रेनें चलाने की व्यवस्था की है। इस दौरान 150 से अधिक ट्रेनें चलाने का लक्ष्य रखा गया है और आवश्यकता पड़ने पर और अधिक ट्रेनें चलाई जाएंगी ताकि अधिक से अधिक यात्रियों को सुरक्षित और त्वरित रूप से उनके गंतव्य तक पहुंचाया जा सके।
उन्होंने बताया कि अयोध्या-वाराणसी के लिए प्रयागराज जंक्शन की बजाय झूसी, रामबाग, फाफामऊ, प्रयाग जंक्शन से ट्रेनें उपलब्ध होंगी। इसके अलावा, रेलवे ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे प्लेटफॉर्म पर न सोएं और न ही लेटें, ताकि किसी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके। मौनी अमावस्या के दिन कुछ ट्रेनें कैंसिल भी की गई हैं। साथ ही, राज्य सरकार के सहयोग से आठ हजार बसों के संचालन की भी तैयारी की गई है।
स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाएं
मेला क्षेत्र में 24/7 चिकित्सा शिविर स्थापित किए गए हैं। एंबुलेंस और आपातकालीन सेवाओं को अलर्ट पर रखा गया है।
साफ-सफाई और अन्य व्यवस्थाएं
गंगा की स्वच्छता बनाए रखने के लिए विशेष सफाई अभियान चलाया गया है। साथ ही, श्रद्धालुओं के लिए शौचालय, पेयजल, और भोजन की समुचित व्यवस्था की गई है।
तकनीक का उपयोग
महाकुंभ 2025 में सुरक्षा और प्रबंधन के लिए आधुनिक तकनीकों का भरपूर उपयोग हो रहा है। एआई-आधारित कैमरे न केवल भीड़ प्रबंधन में मदद कर रहे हैं, बल्कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तत्काल सूचना भी दे रहे हैं। वहीं, ड्रोन की तैनाती से मेला क्षेत्र का व्यापक सर्वेक्षण किया जा रहा है।
धार्मिक और सांस्कृतिक आकर्षण
महाकुंभ के दौरान स्नान के साथ-साथ श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी हिस्सा बन रहे हैं। कथा-वाचन, भजन-कीर्तन, और साधु-संतों के प्रवचन से मेला क्षेत्र में भक्ति और आध्यात्मिकता का अनूठा माहौल बना हुआ है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह प्रयागराज और आस-पास के क्षेत्रों के लिए एक आर्थिक अवसर भी है। स्थानीय व्यापारियों, होटलों, और परिवहन सेवाओं को इससे बड़ा लाभ मिलता है। इसके अलावा, यह आयोजन भारतीय संस्कृति और विरासत का वैश्विक स्तर पर प्रचार करता है।
महाकुंभ 2025 इस बार भी करोड़ों भक्तों की भक्ति और समर्पण का गवाह बनेगा
मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करना श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है। महाकुंभ 2025 इस बार भी करोड़ों भक्तों की भक्ति और समर्पण का गवाह बनेगा। प्रशासन और श्रद्धालु मिलकर इसे एक सुरक्षित, स्वच्छ और स्मरणीय आयोजन बनाने की दिशा में तत्पर हैं।