अलविदा ! जांबाज मार्शल अर्जन सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन - Punjab Kesari
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अलविदा ! जांबाज मार्शल अर्जन सिंह का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन

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नयी दिल्ली : देश ने भारतीय वायुसेना के महान योद्धा मार्शल अर्जन सिंह को आज अश्रुपूरित अंतिम विदाई दी। लड़ाकू विमानों के फ्लाई पास्ट सहित पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ आज सुबह मार्शल अर्जन सिंह का अंतिम संस्कार किया गया। दिल्ली केंट के बरार चौक में मंत्रोच्चार के बीच उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया। उनके अंतिम संस्कार के दौरान कई राजनीतिक हस्तियां, तीनों सेनाओं के प्रमुख तथा शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। सिंह को तोपों की सलामी दी गयी। भारतीय वायुसेना के तीन सुखोई लड़ाकू विमानों ने फ्लाई पास्ट कर वायुसेना के एकमात्र पांच-रैंक वाले मार्शल अर्जन सिंह को श्रद्धांजलि दी। भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टरों ने भी मार्च पास्ट कर उन्हें सलामी दी। सुखोई विमानों ने मिसिंग मैन फॉरमेशन बनाया। हवा में बनने वाला यह फॉरमेशन दिवंगत सैन्य अधिकारी के सम्मान में बनाया जाता है।

सिंह के निधन पर शोक स्वरूप आज राजधानी दिल्ली में सभी सरकारी इमारतों पर तिरंगा आधा झुका रहेगा। वहीं पंजाब में प्रदेश सरकार ने तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के नायक और पांच सितारा रैंक तक पदोन्नत किये गये वायुसेना के एकमात्र अधिकारी मार्शल अर्जन सिंह का शनिवार को निधन हो गया था। वह 98 वर्ष के थे। उन्हें दिल का दौरा पडऩे के बाद सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी है। उनकी पत्नी 2011 में ही गुजर गयी थीं। मार्शल अर्जन सिंह के पार्थिव शरीर को आज सुबह शरीर को तिरंगे में लपेट कर एक बख्तरबंद वाहन से बरार चौक शमशान तक लाया गया।

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मार्शल अर्जन सिंह को उनके अंतिम संस्कार से पहले पुष्पांजलि अर्पित की। तीनों सेनाओं के सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बिरेन्द, सिंह धनोआ, नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा और थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भी अंतिम संस्कार से पहले मार्शल अर्जन सिंह को श्रद्धांजलि दी। अंतिम संस्कार के दौरान रक्षा मंत्री सीतारमण, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी सहित तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे।  थल सेना, वायु सेना और नौसेना के पूर्व प्रमुख भी मार्शल अर्जन सिंह की अंतिम यात्रा में शामिल हुए।

 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने आज भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह के घर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। युद्ध नायक मार्शल अर्जन सिंह का शनिवार देर शाम निधन हो गया था। वह 98 वर्ष के थे। उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था।

 

LIVE UPDATES:

  • एयर मार्शल अर्जन सिंह पंचतत्व में विलीन।
  • एयर मार्शल अर्जन सिंह के पार्थिव शरीर को दी गई अग्नि।
  • एयर मार्शल अर्जन सिंह के सम्मान में फ्लाई पास्ट।
  • एयर मार्शल अर्जन सिंह की अंतिम विदाई।

 

  • MI-17 हेलीकॉप्टर ने दी एयर मार्शल को आसमान से सलामी।
  • एयर मार्शल को दी गई 17 तोपों की सलामी।
  • एयर मार्शल को ले जाया जा रहा है अंतिम संस्कार के लिए।
  • लाल कृष्ण अडवाणी ने भी दी एयर मार्शल अर्जन सिंह को श्रद्धांजलि।
  • रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन ने दी श्रद्घांजली
  • मार्शल अर्जन सिंह का पार्थिव शरीर बरार स्क्वायर पहुंचा।
  • थोड़ी देर में राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार।

 

  • इंडियन एयरफोर्स के MI-17 हेलीकॉप्टर एयर मार्शल अर्जन सिंह को देंगे सलामी।
  • सरकारी इमारतों के राष्ट्रध्वज आधे झुकाए गए।
  • अंतिम संस्कार से पहले गन सैल्यूट में तोपों से सलामी।
  • दिल्ली के बसंत स्क्वायर में अंतिम संस्कार

अर्जन सिंह 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय भारतीय वायु सेना के प्रमुख थे। उस युद्ध में भारत की जीत में वायु सेना और अर्जन सिंह का योगदान अतुलनीय था। जिसके लिए इन्हें फाइव स्टार रैंक दिया गया था। 44 साल की उम्र में ही अर्जन सिंह को भारतीय वायु सेना की कमान सौंप दी गई थी। वह स्विजरलैंड में भारत के राजदूत और केन्या में उच्चायुक्त पद पर भी रह चुके हैं। उन्हें 1965 के युद्ध में बेहतरीन नेतृत्व करने के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित भी किया गया है।

 

उन्हें 44 साल की आयु में ही भारतीय वायु सेना का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसे उन्होंने शानदार तरीके से निभाया। साल 1965 की लड़ाई में जब भारतीय वायु सेना अग्रिम मोर्चे पर थी तब वह उसके प्रमुख थे। अलग-अलग तरह के 60 से भी ज्यादा विमान उड़ाने वाले सिंह ने भारतीय वायु सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु सेनाओं में से एक बनाने और विश्व में चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बनाने में अहम भूमिका निभाई थी।

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