लोकसभा में मंगलवार को विपक्ष ने जहां देश के विभिन्न हिस्सों में पीट-पीटकर (मॉब लिंचिंग) हो रही हत्याओं का मामला उठाया वहीं सत्ता पक्ष ने पश्चिम बंगाल में जारी हिंसा की घटनाओं का मुद्दा पुरजोर ढंग से उठाया जिसको लेकर दोनों पक्षों में काफी नोकझोंक हुई।
शून्यकाल में समाजवादी पार्टी के शफीकुर्रहमान बर्क ने देश के विभिन्न हिस्सों में पीट-पीटकर हो रही घटनाओं का मामला उठाया और कहा कि इस तरह की घटनाओं से देश में भय का माहौल बन गया है। यह स्थिति देश के मुसलमानों के हित में नहीं है। शफीकुर्रहमान बर्क ने जैसे ही यह मुद्दा उठाया सत्ता पक्ष के सदस्यों ने उनका विरोध शुरू कर दिया।
सत्ता पक्ष की तरफ से कई लोग अपनी सीटों पर खड़े उठकर उनकी बात का विरोध करने लगे। सत्ता पक्ष के सदस्यों के अपनी सीट से उठकर शफीकुर्रहमान बर्क की बात का विरोध करने पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी तथा अन्य विपक्षी सदस्यों ने भी एकजुट होकर उनका विरोध शुरू कर दिया।
दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक के बीच अध्यक्ष ओम बिरला ने अन्य सदस्य का नाम बोलने के लिए पुकारा और शफीकुर्रहमान बर्क का माइक बंद कर दिया। बर्क इसके बावजूद बोलते रहे लेकिन उनकी आवाज सुनाई नहीं दी। विपक्षी सदस्यों ने अध्यक्ष से बर्क को बोलने देने का आग्रह किया लेकिन ओम बिरला ने उनकी बात नहीं सुनी और तीसरे सदस्य को अपनी बात रखने के लिए पुकारा।
इसी तरह से भारतीय जनता पार्टी के दिलीप घोष ने पश्चिम बंगाल में हो रही हत्याओं का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि राज्य सरकार की शह पर हो रही हिंसा में कई लोग मारे गये हैं। उन्होंने खुद तथा अन्य सांसदों की जान को भी खतरा बताया और कहा कि वहां बाबुल सुप्रियो तथा रूपा गांगुली जैसे लोगों पर हमले हो रहे हैं।
राज्य सरकार पर सवाल उठने के कारण तृणमूल कांग्रेस के सदस्य अपनी सीटों पर खड़ होकर शोर-शराबा करने लगे और दिलीप घोष के आरोप को निराधार बताने लगे। इस मुद्दे को लेकर दोनों पक्षों के बीच तीखी नोकझोंक हुई जिसके कारण सदन में कुछ देर तक जमकर शोर शराबा होता रहा।