जानिए ! कौन होते हैं वीरता पुरस्कार के असली हकदार और क्यों यह सम्मान है खास - Punjab Kesari
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जानिए ! कौन होते हैं वीरता पुरस्कार के असली हकदार और क्यों यह सम्मान है खास

भारत ने 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से आजादी हासिल की…

भारत ने 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से आजादी हासिल की। इस ऐतिहासिक दिन को हर भारतीय गर्व और उल्लास के साथ स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है। यह दिन न केवल स्वतंत्रता का उत्सव है, बल्कि उन वीर बलिदानियों को श्रद्धांजलि देने का अवसर भी है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।

आजादी के बाद, सरकार ने वीरता पुरस्कारों की शुरुआत की, ताकि उन सैनिकों, अधिकारियों और नागरिकों को सम्मानित किया जा सके जिन्होंने अदम्य साहस, बहादुरी और देशभक्ति का परिचय दिया। 1950 के दशक में स्थापित इन पुरस्कारों में परम वीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र जैसे प्रमुख सम्मान शामिल हैं। इनका उद्देश्य देश की रक्षा, सुरक्षा और अखंडता के लिए बलिदान देने वाले महान नायकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना और उनकी बहादुरी को राष्ट्र के सामने लाना है।

परम वीर चक्र : यह भारतीय सेना का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। यह उन सैन्य कर्मियों को दिया जाता है जिन्होंने युद्ध के दौरान असाधारण वीरता और साहस का प्रदर्शन किया हो। इसे युद्ध के दौरान उच्चतम साहस के लिए दिया जाता है। यह मेडल 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया था।

महावीर चक्र : परम वीर चक्र के बाद महावीर चक्र सम्मान आता है। यह पुरस्कार भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के जवानों को दिया जाता है जिन्होंने युद्ध के दौरान असाधारण साहस और वीरता का परिचय दिया है। यह मेडल सफेद और नारंगी रंग के फीते से बंधा होता है। यह भी 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया।

वीर चक्र : यह पुरस्कार उन सैनिकों को दिया जाता है जिन्होंने अपने जीवन को संकट में डालकर असाधारण साहस का प्रदर्शन किया हो। यह मेडल गोलाकार होता है, जिसके बीच में पांच नोक बने होते हैं। यह भी 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया।

अशोक चक्र : इस पुरस्कार की शुरुआत 1952 में हुई थी, उस वक्त इसका नाम अशोक चक्र श्रेणी-1 था। बाद में जनवरी 1967 को इसका नाम बदलकर सिर्फ अशोक चक्र कर दिया गया। यह पदक शांति काल में अदम्य साहस का परिचय देने और जान न्योछावर करने के लिए दिया जाता है।

कीर्ति चक्र : इस सम्मान की स्थापना 1952 में अशोक चक्र श्रेणी–2 के नाम से हुई थी। जनवरी 1967 में इसका नाम बदलकर कीर्ति चक्र किया गया। यह पुरस्कार सेना, वायुसेना और नौसेना के अधिकारियों और जवानें के अलावा, टेरिटोरियल आर्मी और आम नागरिकों को भी दिया जाता है। अब तक 198 बहादुरों को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया है।

शौर्य चक्र: यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने असाधारण बहादुरी और शौर्य का प्रदर्शन किया हो, विशेषकर युद्ध की स्थिति में। इसकी शुरुआत 1952 में अशोक चक्र श्रेणी-3 के नाम से हुई थी और 1967 में इसे शौर्य चक्र का नाम दिया गया। भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के वीर जवानों को यह पदक दिया जाता है। शौर्य चक्र कांसे से बना हुआ गोलाकार पदक होता है। यह मेडल पीस टाइम गैलेंट्री अवॉर्ड की श्रेणी में आता है।

पुरस्कारों के वरीयता क्रम में हिसाब से सबसे पहले आता है परमवीर चक्र

भारत सरकार ने आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र जैसे प्रथम तीन वीरता पुरस्कार स्थापित किए। ये पुरस्कार 15 अगस्त 1947 से प्रभावी माने गए। इसके बाद, 4 जनवरी 1952 को अन्य तीन वीरता पुरस्कार – अशोक चक्र श्रेणी-1, अशोक चक्र श्रेणी-2 और अशोक चक्र श्रेणी-3 की स्थापना की गई, जो 15 अगस्त 1947 से लागू हुए। जनवरी 1967 में इन पुरस्कारों के नाम बदलकर क्रमशः अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र कर दिए गए।

वीरता पुरस्कारों की घोषणा हर वर्ष दो बार की जाती है गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर

वीरता पुरस्कारों की घोषणा हर वर्ष दो बार की जाती है – पहली बार गणतंत्र दिवस और दूसरी बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर। इन पुरस्कारों की वरीयता में सबसे ऊपर परमवीर चक्र है, जिसके बाद क्रमशः अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र आते हैं। यह परंपरा वीरों की बहादुरी को सलाम करने और उन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई।

उच्च रैंक के अधिकारियों के अलावा आम नागरिकों को भी प्रदान किए जाते हैं वीरता पुरस्कार

इन पुरस्कारों के माध्यम से सरकार उन बहादुर सैनिकों और नागरिकों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करती है, जिन्होंने देश की रक्षा और सुरक्षा के लिए अद्वितीय साहस दिखाया और अपने प्राणों की आहुति दी। वीरता पुरस्कार न केवल उच्च रैंक के अधिकारियों को, बल्कि आम नागरिकों को भी प्रदान किए जाते हैं, जिन्होंने असाधारण वीरता और बलिदान का परिचय दिया हो। ये पुरस्कार भारत की सुरक्षा और अखंडता के लिए उनकी निस्वार्थ सेवा को सम्मानित करने का प्रतीक हैं।

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