दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार एक बार फिर मुश्किल में हैं। आप सरकार पर एक घोटाले का आरोप लगा है। 139 करोड़ के घोटाले का आरोप श्रम विभाग से जुड़ा है। शिकायत में कहा गया है कि सरकार के श्रम मंत्रालय ने कई कामकाजी लोगों का भी अवैध तरीके से दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण करा दिया, जबकि किसी भी कंपनी में काम करने वालों व चालक आदि की नौकरी करने वालों का वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण नहीं कराया जा सकता है।
यह आरोप लग रहा है कि दिल्ली सरकार ने वोट बैंक मजबूत करने के मकसद से नियमों का दरकिनार कर ऐसा कदम उठाया है। दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष की शिकायत पर दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड के खिलाफ छह धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया। तीन हफ्ते पहले दिल्ली लेबर वेलफेयर बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष व मजदूर नेता सुखबीर शर्मा ने भी एसीबी में शिकायत कर आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार ने कंस्ट्रक्शन लेबर फंड में 139 करोड़ का घोटाला किया है।
सुखबीर शर्मा का कहना है कि दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वेलफेयर बोर्ड के मुताबिक निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को मिलने वाली सुविधाओं को आम आदमी पार्टी के वॉलेंटियर्स को बोगस श्रमिक बनाकर दे दिया गया। इस बारे में कई बार लेबर डिपार्टमेंट और दिल्ली सरकार से शिकायत की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आरोप ये है कि अफसरों की मिलीभगत से इस काम को अंजाम दिया गया है। सुखबीर शर्मा की मानें तो यह पूरा घोटाला 200 करोड़ रुपए से ऊपर का है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बोर्ड को यह निर्देश दिए गए थे कि कंस्ट्रक्शन के लिए काम करने वाले श्रमिकों के कल्याण पर बोर्ड पैसे खर्च करे। आरोप है कि कोर्ट के आदेश पर काम तो शुरू हुआ, लेकिन वेलफेयर श्रमिकों का नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी के वालंटियर्स का हुआ। सुखबीर शर्मा ने बताया कि नौकरी करने वालों से लेकर बिजनेसमैन तक को कागजों पर श्रमिक बना दिया गया।
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