महाराणा प्रताप जयंती पर कवि सम्मेलन - Punjab Kesari
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महाराणा प्रताप जयंती पर कवि सम्मेलन

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शिवपुरी : महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर लोहिड़ी माता ट्रस्ट के द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें रात भर दूर दराज से आये हुए कवियों ने अपनी प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया देर रात तक अनवरत कवि सम्मेलन चलता रहा। सर्वप्रथम माँ सरस्वती के चित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित कर दीप प्रज्वलन कर महाराणा प्रताप के जयघोष से कवि सम्मेलन प्रारम्भ हुआ।

तत्पश्चात लोहिड़ी माता ट्रस्ट केहरि बल्लभ जी माहेश्वरी, सुनील माहेश्वरी, ने सभी कवियों का स्वागत किया। उसके बाद सुमित ओरछा के संचालन में कवि सम्मेलन प्रारम्भ हुआ, सबसे पहले कवि के रूप में शिबपुरी के ओज कवि आशुतोष ओज ने केसरिया ही रूप है जिनका केसरिया ही बाना, वीर शिवाजी के बेटे हो रूप सभी ने जाना, हल्दी घाटी के प्रताप हो तुम हो राणा सांगा, तुम हो वह तलवार पुरानी जिससे दुश्मन भागा के ओज स्वरों से कवि सम्मेलन को प्रारम्भ किया सदन भारत माता के जयकारों से गूंज गया,

वीर रस के खजुराहो से आये कविइंद्रजीत विरल ने खून की जो वही धार,घाटी में बेशूमार, ऐसी मार आज राणा रण में मचाई है को सुनाई,सदन राणा प्रताप के जयकारों से गूंज गया। श्रृंगार की भोपाल से आई कवियित्री सुनीता ने बंधनो को में तोड़ सकती थी, इश्क में कुछ भी छोड़ सकती थी, एक तेरा साथ न मिला मुझको, वक्त का रुख भी में मोड़ सकती थी को सुना श्रोताओ की वाह वाही प्राप्त की। अंत मे संचालन कर रहे ओजस्वी कवि सुमित ओरछा ने एक संतभारत की माटी ने ऐसा प्रकट किया।

जिसमे अखिल विश्वने भारत का परचम परिचय दिया,जिसने सब को आकरके एक नया आनंद दिया जिसको सभी ने नाम विवेकानंद दिया,सुनाकर कवि सम्मेलन को सफल बनाया,पूरी रात श्रोता तन्मयता के साथ बैठकर कवि सम्मेलन सुनतेरहे।काफी वर्षो के बाद नरवर में हुए इस कवि सम्मेलन में पूर्व विधायक रमेश खटीक केसाथ अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी बैठकर कवि सम्मेलन सुनते रहे, अंत मे महाराणा प्रताप अमर रहे के नारों के साथ कवि सम्मेलन का समापन हुआ।

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