आतंकवाद की समस्या से निपटने में जनसहयोग जरूरी : आईजी - Punjab Kesari
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आतंकवाद की समस्या से निपटने में जनसहयोग जरूरी : आईजी

कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय, जाने माने समाजशास्त्री डॉ। गोपी रमण प्रसाद एवं राजनीतिक विश्लेषक डॉ जितेन्द, नारायण

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरीय अधिकारी और दरभंगा प्रक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) पंकज दराद ने आतंकवाद को मनुष्यता के खिलाफ बताया और कहा कि जनसहयोग और अच्छी पुलिसिंग से देश के कई हिस्सों में आतंकवाद की समस्या पर काफी हद तक काबू कर लिया गया है। श्री दराद ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में ‘समकालीन भारत में आतंकवाद’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि समकालीन भारत में कई प्रकार के आतंकी संगठन हैं, पर देश सबसे अधिक पड़सी राष्ट्र पाकिस्तान के समर्थित आतंकवादियों से पीड़त है।

पाक समर्थित आतंकी समूह, धर्म खतरे में है कहकर आतंक की फसल बोते है और इसे भारत पर थोपते है। भारत का पड़सी मुल्क आजकल कुछ-कुछ आतंकी भेजते रहो और देश को परेशान करते रहो वाली नीति पर चल रहा है। उन्होंने कहा कि जनसहयोग और अच्छी पुलिसिंग के कारण देश के कई हिस्सों में आतंकवाद की समस्या नियंत्रण में है और आतंकी समूहों पर लगातार नकेल कसी जा रही है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि कोई धर्म आतंक फैलाने की इजाजत नहीं देता है।

कुछ धर्मो में धर्म गुरूओं का दखल मनुष्य की निजी जीवन तक फैला है और आश्चर्यजनक रूप से इसमें पढ़-लिखे लोग भी शामिल रहते हैं। उन्होंने कहा कि देश में नक्सलवाद या पंथ के नाम पर चल रहे संगठनों को बाहरी मदद देकर देश को खंडित करने की कोशिश की जा रही है लेकिन देश के वीर जवानों के कारण दुश्मनों के मंसूबे कभी कामयाब नहीं होंगे। श्री दराद ने खुफिया रिपोर्ट के आधार पर विभिन्न घटनाओं आदि का विवरण देते हुए कहा कि नक्सलवाद बिहार के 23 जिलों में फैला रहा है।

दरभंगा भी एक दशक पूर्व नक्सल प्रभावित जिलों में गिना जाता था, पर जनसहयोग और अच्छी पुलिसिंग से इस समस्या पर काबू पा लिया गया। फिर दरभंगा मॉडल का आतंकी स्वरूप राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हुआ जिस पर आतंकी भटकल की गिरफ्तारी के बाद विराम लगा हुआ है। वस्तुत: देश में हुए विकास से नक्सलवाद एवं आतंकवाद समाप्ति की ओर है और दहशतगर्दी में कमी आई है।

मुख्य अतिथि कुलपति प्रो। डॉ। सुरेन्द, सिंह ने कहा कि अपने पंथ, विचार, धर्म के प्रति आत्ममुग्धता एवं दूसरे पंथ, विचार, धर्म के प्रति असहिष्णुता को ही आतंकवाद की संज्ञा दी जा सकती है। आतंकवादियों के समूह में डाक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर आदि जैसे पढ़-लिखे लोग भी शामिल देखे गये हैं। इसका सबसे बड़ कारण सकीर्ण सोच को ही माना जा सकता है। संगोष्ठी को कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय, जाने माने समाजशास्त्री डॉ। गोपी रमण प्रसाद एवं राजनीतिक विश्लेषक डॉ जितेन्द, नारायण ने संबोधित किया।

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