आपत्तियों के बावजूद जस्टिस जोसेफ आज तीसरे नंबर पर ही लेंगे SC जज की शपथ - Punjab Kesari
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आपत्तियों के बावजूद जस्टिस जोसेफ आज तीसरे नंबर पर ही लेंगे SC जज की शपथ

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सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर काफी लंबे समय तक चले विवाद के बीच उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के एम जोसफ समेत कुल तीन जज मंगलवार को तय कार्यक्रम के मुताबिक उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर शपथ लेंगे। शपथ ग्रहण दोपहर करीब 2 बजे होगा। हालांकि, अभी भी इसको लेकर विवाद सामने आ रहा है। कई वरिष्ठ जजों ने जस्टिस के. एम. जोसेफ की वरिष्ठता घटाने को लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की है। लेकिन केंद्र अपने रुख पर अडिग है, इसलिए आज शपथ ग्रहण पूर्व में तय कार्यक्रम के आधार पर ही होगा।  इस मामले को लेकर सोमवार को कई सीनियर जजों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा से मुलाकात की थी। चीफ जस्टिस ने उन्हें मामले को केंद्र के सामने उठाने की बात भी कही थी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में तीन जज नियुक्त होने के मामले में उतराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के. एम. जोसेफ को वरिष्ठता के क्रम में तीसरे नंबर पर रखा गया है। जिसको लेकर आपत्ति जताई जा रही है। इस मामले में केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक वरीयता इस आधार पर तय की गई है कि तीनों में पहले हाई कोर्ट का जज कौन बना ना कि इस आधार पर की पहले तीनों जजों में से हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस कौन बना।

कौन कब बना जज?

जस्टिस इंदिरा बनर्जी 5 फ़रवरी 2002,

जस्टिस विनीत सरन 14 फ़रवरी 2002,

जस्टिस के एम जोसेफ 14 अक्टूबर 2014,

आपको बता दें कि उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ, मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत सरन को सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति करने की अधिसूचना जारी की गई थी। नई नियुक्तियों के बाद शीर्ष न्यायालय में न्यायमूर्तियों की संख्या 25 हो गई, लेकिन अब भी छह पद रिक्त हैं।

न्यायमूर्ति बनर्जी सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में आठवीं महिला न्यायमूर्ति हैं। वहीं जस्टिस जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को लेकर पांच सदस्यीय कोलेजियम और केंद्र सरकार के बीच पिछले कई महीनों से मतभेद चल रहे थे।

एक बार सिफारिश लौटा चुका था केंद्र 

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जनवरी में जस्टिस जोसेफ का नाम केंद्र सरकार के पास भेजा था। उस वक्त सरकार ने उनका नाम यह कहकर वापस भेज दिया था कि जस्टिस जोसेफ उतने सीनियर नहीं हैं। इसके बाद कॉलेजियम ने जुलाई में मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिशा हाईकोर्ट के जस्टिस विनीत सरण के साथ जस्टिस जोसेफ का नाम दोबारा सरकार को भेजा। इसके बाद केंद्र ने शुक्रवार को जस्टिस जोसेफ सहित तीनों जजों की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति को हरी झंडी दी।

कई जज उठा चुके हैं सवाल

आपको बता दें कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के कई मौजूदा और पूर्व जज अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस कुरियन जोसफ और जस्टिस मदन बी लोकुर ने भी चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट की गरिमा बचाने और सरकार की मनमानी रोकने के उपाय करने पर ज़ोर दिया था। इन उपायों की तलाश के लिए फुलकोर्ट यानी सभी जजों की मीटिंग बुलाने की मांग की थी। जिस दौरान कोलेजियम ने जस्टिस के. एम. जोसेफ के नाम की सिफारिश की थी, तब सरकार ने कई तरह के तर्क देकर उनका नाम वापस कर दिया था। लेकिन अब लगता है कि सरकार राजी हो गई है।

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