गोमांस सम्बन्धी याचिका से न्यायधीश ने खुद का पल्ला झाड़ा - Punjab Kesari
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गोमांस सम्बन्धी याचिका से न्यायधीश ने खुद का पल्ला झाड़ा

उच्च न्यायालय ने गोमांस को रखने को अपराध बनाने संबंधी राज्य के कानून की दो धाराओं को निरस्त

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा ने गोमांस से संबंधित कानून पर बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील की सुनवाई से सोमवार को खुद को अलग कर लिया। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य के बाहर हुये गोवध का मांस रखने के आधार पर आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती। न्यायमूर्ति ए एम सप्रे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति मल्होत्रा ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है क्योंकि इसमें वह एक वकील के रूप में पेश हो चुकी हैं। 
अब यह मामला उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिये प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जायेगा। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के छह मई, 2016 के फैसले के खिलाफ अखिल भारत कृषि गोसेवा संघ की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा था। इस मामले में उच्चतम न्यायालय में 33 याचिकायें दायर की गयी हैं। 
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) कानून के उन प्रावधानों को असंवैधानिक और निजता के अधिकार का हनन करने वाला करार दिया था जो गोमांस रखने का अपराध बनाता है। उच्च न्यायालय ने गोमांस को रखने को अपराध बनाने संबंधी राज्य के कानून की दो धाराओं को निरस्त करते हुये महाराष्ट्र में सांड और बैलों के वध पर प्रतिबंध लगाने को बरकरार रखा था। 
इस कानून के तहत ऐसे पशुओं का वध करना दंडनीय अपराध है जिसके लिये पांच साल की कैद और दस हजार रूपए का जुर्माना हो सकता है जबकि गोमांस रखने के अपराध में एक साल की कैद और दो हजार रूपए के जुर्माने का प्रावधान था। 

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