जेएनयू छात्र नजीब अहमद का सफदरजंग अस्पताल में इलाज नहीं हुआ क्योंकि दस्तावेज नहीं मिले। सीबीआई ने अदालत को बताया कि नजीब को एमएलसी की सलाह दी गई थी, लेकिन वह अस्पताल से चला गया। अदालत ने मामले को 9 मई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट को सोमवार को सूचित किया गया कि 2016 में लापता हुए जेएनयू छात्र नजीब अहमद का सफदरजंग अस्पताल में इलाज नहीं किया गया क्योंकि उसके दौरे से संबंधित दस्तावेज नहीं मिले। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत को बताया कि अहमद को मेडिको-लीगल सर्टिफिकेट (एमएलसी) तैयार करवाने की सलाह दी गई थी, लेकिन वह अपने दोस्त मोहम्मद कासिम के साथ अस्पताल से चला गया। जांच अधिकारी (आईओ) ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) ज्योति माहेश्वरी के समक्ष दलीलें पेश कीं, जिन्होंने अदालत द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण दिए।
आईओ ने अदालत को यह भी बताया कि नजीब अहमद की मां, जेएनयू में हॉस्टल वार्डन और जामिया में एक दोस्त फातिमा नफीस का बयान दर्ज किया गया। यह भी कहा गया कि ऑटो चालक का बयान दिल्ली पुलिस और अदालत ने दर्ज किया था। जांच अधिकारी ने स्पष्ट किया कि सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर या मेडिकल अटेंडेंट का बयान नहीं लिया गया, क्योंकि नजीब अहमद के सफदरजंग अस्पताल जाने से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं था।
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इसके अलावा, हॉस्टल वार्डन ने नजीब को ऑटो से जेएनयू से निकलते हुए देखने की पुष्टि की। नजीब अहमद अक्टूबर 2016 में जेएनयू से लापता हो गया था। यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। एजेंसी ने 2018 में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की। उसकी मां फातिमा नफीस ने क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी। अदालत ने मामले को आगे स्पष्टीकरण के लिए 9 मई को सूचीबद्ध किया है।