इसरो ने लॉन्च किया GSAT-6A सैटेलाइट ,सेना की संचार सेवा होगी मज़बूत - Punjab Kesari
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इसरो ने लॉन्च किया GSAT-6A सैटेलाइट ,सेना की संचार सेवा होगी मज़बूत

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने संचार उपग्रह जी सैट 6-A को अंतरिक्ष में लॉन्‍च कर दिया है। इसरो के GSLV-F08 मिशन के ज़रिए इस सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। इस उपग्रह को चंद्रयान जैसे मिशनों के लिए भी उपयोगी माना जा रहा है। आपको बता दें कि इसरो अभी तक 95 स्‍पेसक्राफ्ट लॉन्‍च कर चुका है। इसरो ने जनवरी में ही अपना 100वां सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा था और उस लॉन्‍च में भारत के इन 3 स्वदेशी उपग्रहों के अलावा कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के 28 सैटेलाइट भी लॉन्‍च किए गए थे।

जीसैट-6ए की लॉन्चिंग से सेनाओं को दी जाने वाली कम्‍यूनिकेशन सर्विसेज की गुणवत्‍ता में और सुधार होगा। कई खूबियों के बीच ही इस सैटेलाइट में प्रयुक्‍त हुआ छह मीटर लंबा छाते के आकार का एंटेना भी इसकी एक खूबी है।

इसरो के मुताबिक यह एंटेना बाकी किसी भी एंटेना से तीन गुना ज्‍यादा बड़ा है और इसकी वजह से ही किसी भी जगह से मोबाइल कम्‍यूनिकेशन और आसान हो सकेगा। इसरो से जुड़े वरिष्‍ठ वै‍ज्ञ‍ानिकों ने बताया कि जीसैट-6ए बाकी कम्‍यूनिकेशन सैटेलाइट की तुलना में काफी अलग है। यह सैटेलाइट रक्षा के मकसद से काम करेगा और साधारण मकसद के लिए इसकी ट्रांसपोंडर क्षमता नहीं बढ़ाई जाएगी। आपको बता दें कि जीसैट-6 साल 27 अगस्‍त 2015 से ही कम्‍यूनिकेशन सर्विसेज दे रहा है।

जीसैट-6ए का वजन 2,140 किलोग्राम है। इसमें प्रयोग हुआ रॉकेट 49.1 मीटर लंबा है और इसका वजन 415.6 टन है। लॉन्‍च होने के 17 मिनट बाद जीसैट-6ए कक्षा में पहुंच जाएगा। इस पूरे मिशन की कीमत 270 करोड़ रुपए है और यह मिशन 10 वर्षों के लिए है।

इसरो की ओर से अब तक 95 स्‍पेसक्राफ्ट मिशन लॉन्‍च हो चुके हैं। इसरो ने जनवरी में ही अपना 100वां सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा था और उस लॉन्‍च में भारत के इन 3 स्वदेशी उपग्रहों के अलावा कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के 28 सैटेलाइट भी लॉन्‍च किए गए थे।

इसरो के सूत्रों की ओर से बताया गया है कि इस सैटेलाइट लॉन्‍च के साथ इसरो कई सिस्‍टम को भी टेस्‍ट करेगी जो देश के दूसरे चंद्रयान मिशन के लिए बहुत जरूरी होंगे। सूत्रों के मुताबिक इस सैटेलाइट लॉन्‍च के साथ हाई थर्स्‍ट विकास इंजन को भी टेस्‍ट किया जाएगा। इस इंजन का प्रयोग चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में होना है।

इसे पहले से बेहतर इंजन माना जा रहा है जो दूसरे मिशन में लॉन्‍च व्‍हीकल को ताकत देगा। यह इंजन व्‍हीकल में 70 किलो भार का वजन सहने की क्षमता भी प्रदान करता है। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को इस वर्ष अक्‍टूबर के लिए तय किया गया है।

चंद्रयान-2 की कीमत 800 करोड़ रुपए है और इस मिशन से पहले विकास इंजन का सफल परीक्षण इसरो के वैज्ञानिकों की भी बड़ी परीक्षा है। इसरो के एलपीएससी यानी लिक्विड प्रोपोल्‍शन सिस्‍टम सेंटर के डायरेक्‍टर वी नारायण ने न्‍यू इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत में कहा है कि चंद्रयान मिशन के लिए इस तरह के पांच इंजन का प्रयोग होगा और इसकी वजह से वजन सहने की क्षमता 70 किलो से बढ़कर 250 किलोग्राम हो जाएगी।

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