रायपुर : छत्तीसगढ़ में राज्यसभा की इकलौती सीट के लिए घमासान अंतिम दौर में है। इसके लिए विधानसभा सचिवालय में 23 मार्च को वोट पड़ेंगे। वहीं समीकरणों के साथ विधायकों को लेकर जोड़तोड़ की कवायदें शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि संख्या बल के हिसाब से सत्ताधारी दल के पक्ष में नतीजे आ सकते हैं। इसके बावजूद विपक्ष की ओर से कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए संगठन ने जोर लगाया हुआ है।
अनुसूचित जाति के प्रत्याशी के बजाए सवर्ण को मैदान में उतारने का मुद्दा उछालकर कांग्रेस की रणनीति राज्य के सभ अजा विधायकों पर टिकी है। वहीं सत्ता पक्ष में साहू समाज और अजा वर्ग के विधायकों से अंतरात्मा की आवाज पर मतदान करने की अपील की गई है। हालांकि इस अपील का कितना असर होगा इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। इधर वोटों को लेकर दोनों ही पक्षों के अपने अपने दावे हैं।
सीएम ने निर्धारित संख्या बल से अधिक वोट मिलने के दावे किए हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने भी बड़ी तादाद में सत्तापक्ष के विधायकों के साथ होने और समर्थन देने का हवाला दिया है। इस मामले में उठापटक के बीच नए सिरे से समर्थन को लकर कवायदें हो रही है। कांग्रेस ने सत्तापक्ष के अजा वर्ग के 9 विधायकों के साथ साहू समाज के विधायकों से संपर्क साधा है।
मप्र और छत्तीसगढ़ के राजनीतिक इतिहास में पहली बार साहू समाज से प्रत्याशी उतारकर कांग्रेस ने बड़े तबके की सहानुभूति लेने के साथ संदेश देने की कोशिशें की है। वहीं दूसरी ओर सामाजिक समीकरणों को भी साधने का प्रयास किया गया है। इधर संसदीय सचिवों को सत्ताधारी दल के प्रत्याशी का प्रस्तावक बनाए जाने का मामला भी विवादों में घिरा है। इस मामले में अयोग्य ठहराने से संबंधित फैसला न्यायलय में सुरक्षित है। ऐसी स्थिति में संसदीय सचिवों को मताधिकार से अयोग्य ठहराने का भी दबाव बनाया हुआ है।
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