न्यायालय का असम सरकार को निर्देश : हिरासत में बंद विदेशियों की रिहाई के तरीके और उपाय बताये - Punjab Kesari
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न्यायालय का असम सरकार को निर्देश : हिरासत में बंद विदेशियों की रिहाई के तरीके और उपाय बताये

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को असम सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य के हिरासत शिविरों में लंबे

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को असम सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य के हिरासत शिविरों में लंबे समय से बंद अवैध विदेशियों की रिहाई के संभावित तरीकों और उपायों के बारे में अवगत कराये।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने राज्य सरकार के इस कथन का संज्ञान लिया कि इस मामले की सुनवाई के दौरान की गयी टिप्पणियों का असम में लोकसभा चुनाव पर असर पड़ सकता है। राज्य सरकार ने इस मामले की सुनवाई 23 अप्रैल के बाद करने का अनुरोध किया है। असम में लोकसभा के लिये 23 अप्रैल को मतदान होगा।

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पीठ ने राज्य सरकार का अनुरोध स्वीकार करते हुये जनहित याचिका पर सुनवाई 25 अप्रैल के लिये सूचीबद्ध कर दी और असम के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि इस मामले में सभी पक्षकारों के साथ बैठक करके 23 अप्रैल या उससे पहले हलफनामा दाखिल करें जिसमें अनेक हिरासत शिविरों में बंद नौ सौ से अधिक अवैध विदेशियों की रिहाई के बारे में विवरण दिया जाये।

शीर्ष अदालत अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में असम के हिरासत शिविरों में बंद विदेशियों की दयनीय स्थिति की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया गया है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि ये विदेशी सिर्फ इस वजह से अनिश्चितकाल के लिये इन शिविरों में रखे जा रहे हैं क्योंकि वे भारतीय नहीं है।

शीर्ष अदालत ने विदेशी घोषित किये गये नागरिकों के फरार होने और असम में स्थानीय आबादी में घुल मिल जाने पर एक अप्रैल को अप्रसन्नता व्यक्त करते हुये राज्य के मुख्य सचिव को तलब किया था।

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