भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को कड़ा जवाब देते हुए कहा कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता। राजदूत हरीश ने बताया कि यह संधि मित्रता की भावना से हुई थी, लेकिन पाकिस्तान के आतंकवाद को बढ़ावा देने के कारण अब इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
India-Pakistan Conflict: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव ने एक नया मोड़ ले लिया है. इस हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने का बड़ा कदम उठाया. शनिवार को भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए उसके झूठे दावों की पोल खोली.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यूएन में पाकिस्तान की ओर से सिंधु जल समझौते पर टिप्पणी करते हुए यह कहा गया कि ‘पानी जीवन है, हथियार नहीं’. इस पर भारत के स्थायी प्रतिनिधि और संयुक्त राष्ट्र में राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने तीखा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को खुला समर्थन देना बंद नहीं करता.
‘मित्रता की भावना से हुई थी सिंधु जल संधि’
राजदूत हरीश ने कहा कि भारत ने यह समझौता 1960 में सद्भावना और अच्छे रिश्तों की भावना से किया था. लेकिन पिछले 65 वर्षों में पाकिस्तान की ओर से बार-बार आतंकवाद को बढ़ावा दिया गया.
उन्होंने बताया कि इन वर्षों में करीब 20,000 भारतीय नागरिक आतंकवादी हमलों में मारे जा चुके हैं. इसके बावजूद भारत ने संयम दिखाया, लेकिन अब भारत आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा.
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‘परियोजनाओं पर भी किया गया हमला’
हरीश ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने न केवल आतंकवाद को बढ़ावा दिया, बल्कि भारत की अहम परियोजनाओं को भी निशाना बनाया. उन्होंने 2012 में जम्मू-कश्मीर की तुलबुल नौवहन परियोजना पर हुए आतंकी हमले का उदाहरण दिया, जिसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने अंजाम दिया था. उन्होंने कहा कि ऐसे हमले नागरिकों की सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के लिए खतरा हैं.
सिंधु जल संधि को लेकर और क्या कहा?
राजदूत हरीश ने साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान अपने देश में पनप रहे आतंकवाद से इनकार नहीं कर सकता. जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के लिए समर्थन देना बंद नहीं करता और इसका ठोस, स्थायी समाधान नहीं होता, तब तक सिंधु जल संधि पर आगे कोई बातचीत नहीं होगी.
ऑपरेशन सिंदूर: भारत की जवाबी कार्रवाई
पहलगाम हमले के ठीक एक दिन बाद, यानी 23 अप्रैल को भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था. इसके बाद 7 मई को भारतीय सेना ने “ऑपरेशन सिंदूर” चलाकर पाकिस्तान के भीतर घुसकर 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया. 10 मई को पाकिस्तान ने सीजफायर की पेशकश की, जिसे भारत ने स्वीकार किया.