भारत 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता हासिल करेगा: केंद्रीय मंत्री - Punjab Kesari
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भारत 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता हासिल करेगा: केंद्रीय मंत्री

रिन्यूएबल एनर्जी में 500 गीगावाट लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है भारत

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने शनिवार को इंडस्ट्री के पक्षकारों से कहा कि भारत के 500 गीगावाट के रिन्यूएबल एनर्जी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए यूनिक इनोवेशन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

ग्रेटर नोएडा में इंडस्ट्री बॉडी इंडियन इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईईईएमए) द्वारा आयोजित ‘एलेक्रामा 2025’ कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय मंत्री ने देश की आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने में बिजली क्षेत्र के महत्व पर जोर दिया।

लाल ने संबोधन में कहा कि भारत में पावर सेक्टर का भविष्य काफी अच्छा है। हमें उत्पादन बढ़ाने के लिए इनोवेटिव तरीकों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि ग्रीन एनर्जी का लाभ उठाने के लिए एंडवास पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, किफायती ट्रांसफार्मर, पावर कन्वर्टर्स, स्मार्ट ग्रिड सॉल्यूशंस विकसित करने की आवश्यकता है।

केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, इस सेक्टर को भारत के विकास का इंजन बनाने के लिए इंडस्ट्री और सरकार का संयुक्त प्रयास जरूरी है।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि भारत 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है। अगर इंडस्ट्री और सरकार दोनों मिलकर कुशलता से काम करें तो यह लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

भारत ने 2014 से अपनी रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को 2.81 गुना बढ़ाकर 200 गीगावाट कर लिया है।

लाल ने आगे कहा कि इस दौरान भारत ने अपनी सोलर क्षमता को 38 गुना बढ़ाकर 100 गीगावाट से अधिक किया है। यह दिखाता है कि देश तेजी से रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने देश के ऊर्जा ट्रांसमिशन और वितरण नेटवर्क में सुधार के महत्व पर भी जोर दिया और इंडस्ट्री के खिलाड़ियों से ग्रिड को आधुनिक बनाने के लिए गैस इंसुलेटेड स्विचगियर (जीआईएस) सबस्टेशन जैसे उच्च दक्षता वाले उपकरण विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा, “ई-मोबिलिटी एक बड़ा अवसर है, और उत्सर्जन को कम करने और स्वच्छ परिवहन का समर्थन करने के लिए देश को अधिक बैटरी-स्वैपिंग स्टेशन, फास्ट चार्जर और वाहन-टू-ग्रिड सिस्टम की आवश्यकता है।”

सरकार निवेशकों को पूर्ण सहायता प्रदान करेगी और उन्हें इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई विभिन्न योजनाओं और पहलों का लाभ उठाना चाहिए।

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