भारत 26 जनवरी 2025 को अपना 76वां गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह ऐतिहासिक दिन 26 जनवरी 1950 को भारत के संविधान को लागू करने की याद दिलाता है, जिसने देश को एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य का दर्जा दिया। यह अवसर भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता में एकता का प्रतीक है।
गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान देशभर में भव्य परेड, जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम और देशभक्ति से ओतप्रोत उत्सव आयोजित किए जाएंगे। नई दिल्ली में कर्तव्य पथ पर आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड इस दिन का मुख्य आकर्षण होगी। इस परेड में भारत की सैन्य ताकत, सांस्कृतिक विविधता और प्रगति का प्रदर्शन किया जाएगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ होगी समारोह की शुरुआत
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ होगी, जिसके बाद 21 तोपों की सलामी दी जाएगी। परेड में सशस्त्र बलों की झांकियां, विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, और देश की तकनीकी व वैज्ञानिक उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाएगा।
यह दिन देशभर के नागरिकों के लिए अपने लोकतांत्रिक अधिकारों और कर्तव्यों को याद करने और भारत की उपलब्धियों का जश्न मनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। गणतंत्र दिवस न केवल भारत की प्रगति का उत्सव है, बल्कि इसकी लोकतांत्रिक भावना और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है।
गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजकीय मेहमान होंगे इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो
भारत के 76वें गणतंत्र दिवस समारोह के अवसर पर, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो राजकीय मेहमान के रूप में शिरकत करेंगे। यह ऐतिहासिक अवसर भारत और इंडोनेशिया के बीच लंबे समय से चले आ रहे घनिष्ठ कूटनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को और प्रगाढ़ करने का प्रतीक है।
राष्ट्रपति प्रबोवो की यह भारत यात्रा विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह उनके पदभार ग्रहण करने के बाद पहली राजकीय यात्रा है।
गणतंत्र दिवस परेड में इंडोनेशियाई सैन्य टुकड़ी की उपस्थिति
गणतंत्र दिवस परेड में इंडोनेशियाई सैन्य टुकड़ी की उपस्थिति और झांकियां दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों को प्रदर्शित करेंगी। यह यात्रा भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और साझेदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
राष्ट्रपति प्रबोवो का इस विशेष अवसर पर मुख्य अतिथि बनना भारत और इंडोनेशिया के मैत्रीपूर्ण संबंधों के साथ-साथ उनके साझा आदर्शों और उद्देश्यों को रेखांकित करता है।
जानिए ! क्या है 26 जनवरी और संविधान का कनेक्शन ?
24 जनवरी 1950 को हाथ से लिखी गईं संविधान की दो कॉपियों पर दस्तखत किए गए। मूल संविधान में दस पेज पर संविधान सभा के सभी 284 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। इनमें पहला हस्ताक्षर हिंदी में तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का है। इसके ठीक दो दिन बाद संविधान को लागू किया गया।
पहला स्वतंत्रता दिवस : 26 जनवरी 1930
इसके लिए 26 जनवरी का दिन चुनने की भी वजह रही है। 1929 के दिसंबर के महीने में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। इसकी अध्यक्षता पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी। इस कार्यक्रम में पास हुए अधिवेशन में कहा गया था कि अगर ब्रिटिश हुकूमत 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन का पद नहीं देता तो भारत को पूरी तरह से स्वतंत्र घोषित कर दिया जाएगा।
संविधान लागू होने का दिन
26 जनवरी 1930 को देश में पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इस खास दिन को मनाते हुए जवाहरलाल नेहरू ने तिरंगा फहराया था। 1950 में भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया। इसके साथ ही भारत का संविधान लागू हुआ। स्वतंत्र भारत के पहले और अंतिम गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने अपने पद से इस्तीफा दिया और इस तरह डाॅ. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने।