वैदिक व रामायण काल में बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसी कुरीतियां नहीं, नारियों का सम्मान था : उपमुख्यमंत्री - Punjab Kesari
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वैदिक व रामायण काल में बाल विवाह, दहेज प्रथा जैसी कुरीतियां नहीं, नारियों का सम्मान था : उपमुख्यमंत्री

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पटना : मां जानकी के प्राकट्य दिवस जानकी नवमी के मौके पर पुनौराधाम (सीतामढ़ी) में बिहार सरकार की ओर से आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जिस तरह वैदिक व रामायण काल में कहीं भी बाल विवाह, दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा जैसी कुरीतियां नहीं थी बल्कि समाज में नारियों का सम्मान था उसेे आज के दौर में भी चरितार्थ करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पुनौराधाम में पर्यटकीय सुविधाओं के विकास के लिए कुल 48.53 करोड़ की योजनाओं में 37.85 करोड़ केन्द्र सरकार तथा 10 करोड़ की स्वीकृति राज्य सरकार ने दी है। इसके अतिरिक्त भारत सरकार ने बिहार के छह धार्मिक व पर्यटकीय सर्किट के विकास के लिए कुल 297.75 करोड़ की अन्य योजनाओं को भी मंजूरी दी है।

केन्द्र सरकार ने कांवरिया परिपथ के विकास के लिए 52.35 करोड़, जैन सर्किट के लिए 52.38 करोड़, गांधी परिपथ के लिए 44.65 करोड़, मंदार व अंग क्षेत्र के लिए 53.49 करोड़, पटना साहिब में प्रकाशोत्सव के लिए 50.88 करोड़ तथा बापू परिपथ के लिए 44 करोड़ रुपये की योजनाओं की स्वीकृति पिछले डेढ़ साल में दी है।

श्री मोदी ने कहा कि वैदिक व रामायण काल में कहीं भी बाल विवाह, दहेज प्रथा व पर्दा प्रथा जैसी कुरीतियां नहीं थीं। नारी सम्मान की बेहतर मिसाल सीता का स्वयंवर है जिसमें धनुष तोड़ने वाले राम को वह स्वयं वर चुनती है। नारी को सम्मान देने के लिए ही हम रामसीता नहीं सीताराम और कृष्णराधा नहीं राधाकृष्ण कहते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि केवल रामायण की चैपाइयां नहीं पढ़े बल्कि उस दौर की रीतियों का भी अनुकरण करें तथा बाल विवाह, दहेज प्रथा, नारी उत्पीड़न जैसी कुरीतियों का पूरी तरह से निषेध करें।

श्री मोदी ने मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने स्वामी रामभद्राचार्य जी के अनुरोध पर रामनवमी की तरह जानकी नवमी को भी सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जिससे देश में जानकी नवमी के दिन छुट्टी घोषित करने वाला बिहार पहला राज्य बन गया है।

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