भारतीय रेलवे ने अत्याधिक ठंडे इलाकों में देश की फ्लैगशिप ट्रेन वंदे भारत चलाने के लिए इसमें कई बदलाव किए हैं। इसमें अत्यधिक तापमान में बाथरूम में बर्फ न जमे और ड्राइवर के शीशों पर बर्फ न जमे साथ ही भाप भी इकट्ठा न हो इसके लिए गर्म पानी समेत तमाम हीटिंग इंसुलेशन जोड़े गए हैं। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने मीडिया से बात करते हुए बताया, इस ट्रेन में आवश्यकता के अनुसार चीजें जोड़ी गई हैं। ट्रेन में सबसे बड़ी समस्या शून्य तापमान पर पानी के टैंक और पाइपलाइन में पानी का जम जाना है, जिसकी वजह से जलापूर्ति प्रभावित होती है। इसे हल करने के लिए पानी की पाइपलाइन और टैंक में सिलिकॉन इंसुलेशन और हीटिंग की व्यवस्था की गई है, ताकि पानी का तापमान स्थिर रहे।
अत्यधिक ठंड में किए गए बदलाव
इसके अलावा, टॉयलेट में जाने वाले व्यक्तियों को भी दिक्कत होती है, विशेष रूप से शून्य तापमान में। इसे ध्यान में रखते हुए, टॉयलेट में ब्लोअर वेंडर्स लगाए गए हैं। साथ ही सुरक्षा के दृष्टिकोण से लोको पायलट ट्रेन को सुरक्षित तरीके से चला सकें, इसके लिए लोको पायलट के कैब में कुछ बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा, ड्राइवर के सामने की विंड स्क्रीन दो परतों की बनाई गई है, जिनके बीच हीटिंग एलिमेंट्स दिए गए हैं। इस व्यवस्था से बर्फ शीशे पर चिपकने से बचती है, क्योंकि हीटिंग एलिमेंट्स की वजह से बर्फ नीचे गिर जाती है और चिपकती नहीं है। इसके अलावा, वाइपर के वॉशर्स में गर्म पानी धीरे-धीरे बहता है, जिससे बर्फ और भाप शीशे से हट जाती है।
ठंड में अन्य परेशानियों से मिलेगी छूट
इस तकनीक से ड्राइवर को स्नोफॉल में भी गाड़ी चलाने में आसानी होगी। उन्होंने कहा, जहां तक ट्रेन के मार्ग का सवाल है, यह निर्णय होना बाकी है कि जम्मू-कश्मीर लिंक पूरी तरह से तैयार नहीं है। रिपोर्ट आ चुकी है और हम अभी उसकी अध्ययन कर रहे हैं कि इसमें और क्या सुधार किया जा सकता है। अध्ययन के बाद समय सारणी, ऑपरेशन, कंफर्ट और सुरक्षा प्रोटोकॉल का मूल्यांकन किया जाएगा, जिसके बाद ट्रेन को चलाने का निर्णय लिया जाएगा।