आपको बता दे कि पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया सिर्फ युवाओं के बीच ही नहीं बल्कि पुरानी पीढ़ी सहित, सभी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है। व्यक्तिगत रूप से यह आपके मित्रों और परिवार के मध्य संपर्क स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है। लेकिन सोशल मीडिया का जब गलत यूज होने लगा तो इससे समाज पर गलत असर पड़ता है।
बता दे कि अभी हाल में ही बिहार के दरभंगा जिले में जिस तरीके से सोशल मीडिया में आपत्तिजनक वीडियो, फर्जी वीडियो और भ्रामक समाचार और तथ्य प्रेषित करने की वजह से जातीय और धार्मिक उन्माद का खतरा बढ़ गया है। उसको देखते हुए बिहार पुलिस ने अब सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के लिए कुछ कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
बिहार पुलिस ने साफ़ कह दिया है कि WhatsApp और Facebook जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आपत्तिजनक वीडियो शेयर किए जा रहे हैं। उनपर लगाम लगाने के लिए सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के लिए ये निर्देश दिए गए है।
आपको बता दे कि पुलिस ने साफ़ साफ़ कहा है कि WhatsApp और Facebook में ग्रुप एडमिन वही बने जो उस ग्रुप के लिए पूरी तरीके से जिम्मेदारी लेने को तैयार हो । वही अपने ग्रुप के सभी सदस्यों का ग्रुप एडमिन से पूर्ण परिचय होना चाहिए ।
वही WhatsApp और Facebook में ग्रुप के किसी सदस्य द्वारा गलत बयानी, बिना पुष्टि के समाचार जो अफवाह बन जाए पोस्ट किए जाने पर या सामाजिक समरसता बिगाड़ने वाले पोस्ट पर ग्रुप एडमिन को तत्काल उसका खंडन कर सदस्य को ग्रुप से हटाना पड़ेगा।
ग्रुप के किसी सदस्य द्वारा गलत बयानी, बिना पुष्टि के समाचार जो अफवाह बन जाए पोस्ट किए जाने पर या सामाजिक समरसता बिगाड़ने वाले पोस्ट पर ग्रुप एडमिन को तत्काल उसका खंडन कर सदस्य को ग्रुप से हटाना पड़ेगा।
अफवाह, भ्रामक तथ्य, सामाजिक समरसता के विरुद्ध तथ्य पोस्ट होने पर संबंधित थाना को भी तत्काल सूचना दी जानी चाहिए। ग्रुप एडमिन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं होने पर उन्हें भी इसका दोषी माना जाएगा और उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी।
दोषी पाए जाने पर आईटी एक्ट, साइबर क्राइम और IPC की धाराओं के तहत कार्यवाही की जाएगी।
किसी भी धर्म के नाम पर भावनाओं को आहत करने वाले पोस्ट किसी भी ग्रुप में डाले जाने पर समाज में तनाव उत्पन्न होने की संभावना रहती है. ऐसे पोस्ट करने या किसी अन्य ग्रुप को फॉरवर्ड करने पर आईटी कानून और आईपीसी की धाराओं के आधार पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।