भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। गुरुवार देर रात तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। जहां इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर उनका इलाज कर रहे थे। इलाज के दौरान ही उन्होंने 92 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। मनमोहन सिंह के निधन के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक भावुक पोस्ट किया है। मनमोहन सिंह के निधन पर पक्ष-विपक्ष के तमाम दिग्गज नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की है।
राहुल गांधी का भावुक पोस्ट
मनमोहन सिंह जी ने बहुत ही बुद्धिमत्ता और ईमानदारी के साथ भारत का नेतृत्व किया। उनकी विनम्रता और अर्थशास्त्र की गहरी समझ ने पूरे देश को प्रेरित किया। श्रीमती कौर और उनके परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएँ। मैंने एक मार्गदर्शक और मार्गदर्शक खो दिया है। हममें से लाखों लोग जो उनके प्रशंसक थे, उन्हें अत्यंत गर्व के साथ याद करेंगे।
Manmohan Singh Ji led India with immense wisdom and integrity. His humility and deep understanding of economics inspired the nation.
My heartfelt condolences to Mrs. Kaur and the family.
I have lost a mentor and guide. Millions of us who admired him will remember him with the… pic.twitter.com/bYT5o1ZN2R
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 26, 2024
भारत के वित्त मंत्री के रूप में योगदान
1991 में भारत जब गंभीर आर्थिक संकट के गुजर रहा था। उस समय डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसने भारत को आर्थिक उदारीकरण की राह पर आगे बढ़ाया। 1991 से 1996 तक डॉ. मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति लागू की, जिसे विश्वभर में सराहा गया। इन सुधारों ने भारत को आर्थिक संकट से उबारकर एक नई दिशा दी। डॉ. मनमोहन सिंह 1991 में पहली बार राज्यसभा के सदस्य बने। 1998 से 2004 तक, जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में थी, डॉ. सिंह राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे।
दो बार बने देश के प्रधानमंत्री
डॉ मनमोहन सिंह को 2004 में पहली बार भारत का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया, उन्होंने 2009 में दूसरी बार पीएम पद की शपथ ली। डॉ मनमोहन सिंह 2014 तक दो कार्यकालों के लिए भारत के प्रधानमंत्री रहे। वे पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जो लोकसभा चुनाव नहीं जीते थे और राज्यसभा सदस्य रहते हुए इस पद पर आसीन हुए। उनके कार्यकाल में आर्थिक विकास और सामाजिक योजनाओं पर विशेष जोर दिया गया।