मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने इसे बिहार और पश्चिम बंगाल चुनावों से जोड़ा। सीएम फडणवीस ने राउत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि यह देश के लिए गर्व की बात है और मूर्खों का जवाब देने की जरूरत नहीं है।
मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को भारत लाए जाने के बाद देश में राजनीति गरमा गई है। इसको लेकर खूब बयानबाजी हो रही है। इसी कड़ी में शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने इसे बिहार और पश्चिम बंगाल के चुनावों से जोड़ दिया है। उन्होंने कहा, “राणा को भारत लाया गया है, यह अच्छी बात है। ये लोग बिहार चुनाव से पहले उसे फांसी पर लटका देंगे और पूरे बिहार चुनाव में उसका डंका बजाएंगे। यह राष्ट्रीय हित और देश की सुरक्षा का मामला है, इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।” महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने राउत के इस बयान पर निशाना साधा है।
फडणवीस ने किसे कहा मूर्ख ?
सीएम फडणवीस ने संजय राउत के बयान पर पलटवार करते हुए कहा, “यह देश के लिए गर्व की बात है। मोदी सरकार ऐसा कर रही है और दूसरी तरफ लोग मूर्खों की तरह बयान दे रहे हैं। मैं मूर्खों का जवाब नहीं देता। जब यह मामला हमारे हाथ में था, तो हमने अमेरिका में कैद डेविड कोलमैन हेडली का बयान दर्ज किया था। उस बयान में साफ तौर पर कहा गया था कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और इसके पीछे पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियों की भूमिका थी।”
‘राष्ट्रहित से बड़ा कोई एजेंडा नहीं होता’
महाराष्ट्र के सीएम ने कहा देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “मैं बेहद संतुष्ट और गौरवान्वित हूं कि तहव्वुर हुसैन राणा जैसे आतंकी साजिशकर्ताओं को अब भारत लाया जा रहा है। यह सिर्फ एक व्यक्ति की वापसी नहीं है, बल्कि 26/11 मुंबई हमले के पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक निर्णायक कदम है।” सीएम ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक दल देश की सुरक्षा और न्याय के बारे में इस तरह के गैरजिम्मेदाराना बयान देते हैं। आतंकवाद का कोई धर्म या संगठन नहीं होता और राष्ट्रहित से बड़ा कोई एजेंडा नहीं होना चाहिए।”
‘166 निर्दोष लोगों की हत्या की गई’
उन्होंने कहा, “आप सभी को याद होगा कि 26 नवंबर 2008 को देश ने इतिहास की सबसे भीषण आतंकवादी घटना का सामना किया था, जिसमें पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने मुंबई को 60 घंटे तक बंधक बनाकर 166 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी। अजमल कसाब को भारतीय न्याय व्यवस्था के तहत जिंदा पकड़ा गया और उसे फांसी पर लटका दिया गया, लेकिन इस पूरे हमले का मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा सालों तक विदेश में सुरक्षित रहा।”
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