सुप्रीम कोर्ट के 33 जजों की संपत्ति का विवरण सार्वजनिक किया गया है, जिसमें मुख्य न्यायधीश समेत सभी जजों की संपत्तियों की जानकारी शामिल है। वेबसाइट पर अपलोड की गई जानकारी में फ्लैट, मकान, बैंक खाते, गहने, शेयर आदि का विवरण है। इस कदम को न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के जजों की संपत्तियों के ऊपर कई बार सवाल उठते हैं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुख्य न्यायधीश और अन्य सभी न्यायधीशों की संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक कर दिया गया है। इस तरह अब वर्तमान मुख्य न्यायधीश समेत भविष्य में बनने वाले सभी न्यायधीशों की संपत्ति पब्लिक डोमेन में है। सोमवार 1, अप्रैल को सभी जजों की बैठक में यह फैसला हुआ था। सभी 33 जजों की संपत्ति की जानकारी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई है। जजों ने अपने और अपने परिवार के फ्लैट, मकान, पैतृक संपत्ति, कृषि भूमि, बैंक खाते, गहने जैसी तमाम बातों की जानकारी सार्वजनिक की है।
कितनी संपत्ति के मालिक हैं चीफ जस्टिस संजीव खन्ना
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बात करें तो उनके पास दक्षिण दिल्ली में एक 3 बेडरूम फ्लैट है। दिल्ली के कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में 4 बेडरूम फ्लैट है जिसके साथ 2 पार्किंग भी है। गुरुग्राम में एक फ्लैट में उनकी 56% हिस्सेदारी है और हिमाचल प्रदेश के डलहौजी में पैतृक संपत्ति में भी हिस्सा है। चीफ जस्टिस ने अपने बैंक अकाउंट, पीएफ अकाउंट, शेयर, सोना आदि की जानकारी भी सार्वजनिक की है। उन्होंने अपनी पत्नी और परिवार की संपत्ति के बारे में भी जानकारी दी है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर यह सभी जानकारी उपलब्ध है।
CJI बनने वाले बीआर गवई के पास कितनी संपत्ति है
इसी तरह, सबसे वरिष्ठ जज और 14 मई से चीफ जस्टिस बनने जा रहे जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भी बताया है कि उनके पास महाराष्ट्र के अमरावती में एक घर और खेती की जमीन है जो उन्हें अपने दिवंगत पिता से विरासत में मिली है, उनके पास मुंबई के बांद्रा और दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में फ्लैट हैं, नागपुर में भी उनके पास खेती की जमीन है। जस्टिस गवई ने अपने बैंक अकाउंट, सोने जैसी संपत्ति के अलावा अपनी पत्नी की संपत्ति के बारे में भी जानकारी दी है।
सभी जजों की संपत्ति का डेटा उपलब्ध
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सभी 33 जजों की संपत्ति की जानकारी उपलब्ध है। माना जा रहा है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार से जुड़ी चर्चाओं के बीच लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया गया है। संपत्ति की घोषणा को लेकर जजों की फुल कोर्ट मीटिंग में पारित प्रस्ताव भविष्य में भी लागू रहेगा।
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